अभियान कला पर्व १०-५-२०२०
विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान के सप्तम सारस्वत अनुष्ठान कला पर्व में आप सबका सस्नेह स्वागत है।
माँ शारदा - माँ भारती को नमन।
ले बसंत के पुष्प माँ, आए तेरे द्वार।
मुकुलित मन सुत सलिल का, नमन करो स्वीकार।।
आज मातृ दिवस पर सभी माताओं को नमन।
लिए मंजरी माल हम, विनत कर रहे भेंट।
अपनी बाँहों में हमें, मैया विहँस समेट।।
माता की छाया तले, बैठे बन मिथिलेश।
बुद्धि विनीता हो सदा, चाह नहीं अवधेश।।
मुख्य अतिथि डॉ. मुकुल तिवारी जी का वंदन।
छाया सक्सेना जी ने कोकिलकंठी स्वर में दीप प्रज्वलन पश्चात् सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।
आत्मदीप जलता रहे, ज्योतित रहे हमेश।
शब्दब्रह्म आराध हम, मिलें तुम्हें परमेश।।
संस्कारधानी को अपनी स्वर लहरी से मोह चुकी अर्चना गोस्वामी जी ने "मेघा रे जल भर लाए" प्रस्तुत कर सब को मंत्र मुग्ध कर दिया।
करे अर्चना मधुर स्वर, भाव पुनीता दिव्य
राम सुन रहे लीन हो, भक्ति भाव है भव्य
माननीय मंजरी शर्मा जी ने पाककला का अध्याय खोलते हुए लच्छेदार रबड़ी, मिथिलेश बड़गैया जी ने गुलाब जामुन, आशा नारायण जी ने आइसक्रीम तथा छाया सक्सेना जी ने बिना अंडे का केक बनाने की विधि व चित्र प्रस्तुत कर सबके मुँह में पानी ला दिया।
नृत्य गुरु बिटिया उपासना के निर्देशन में कालजयी कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की अमर कविता "ये मेरी गोदी की शोभा" पर मौसमी नंदी जी तथा बालिका आराध्या तिवारी ने उत्तम नृत्य प्रस्तुत किया।
आराध्या जिनको कला, गुरु उपासना श्रेष्ठ ।
अभिनंदन मौसमी का, कलाकार है ज्येष्ठ।।
अरुण लिए आलोक आ, जला रहा मणि दीप।
मणि मुक्ता है कला हर, कलाकार हैं सीप।।
तालाबंदी पर संदेशपरक फिलम मुकुल जी के माध्यम से प्रस्तुत की गयी। केरल की नृत्य कला 'कथकळि' की मनोहर नृत्य मुद्राओं और हस्त संचालन की रोचक प्रस्तुति बसंत शर्मा जी के माध्यम से हुई।
नन्हीं प्रशिक्षा रंजन राज पलामू झारखण्ड ने मनोहर नृत्य प्रस्तुति दी।
प्रतिभा बहुत प्रशिक्षा में, मिल हम सकें तराश।
धरती पर पग जमाकर, छू पाए आकाश।।
अभियंता अरुण भटनागर ने वास्तु व् अभियांत्रिकी की समृद्ध विरासत पर जानकारीपूर्ण आलेख प्रस्तुत किया।
वास्तु कला की विरासत, अद्वितीय लें मान।
नव यांत्रिकी के क्षेत्र में, नहीं देश का सान।।
तान्या श्रीवास्तव द्वारा कत्थक नृत्य प्रस्तुति को सबने सराहा।
तान्या कत्थक नृत्य में, है प्रवीण लें मान।
फूँक सके पाषाण में, नृत्य दिखाकर जान।।
लौह तरंग पर अमर चित्रपटीय गीत 'मेरा जूता है जापानी' सुनकर श्रोता झूम उठे।
बोनसाई कला पर सारगर्भित संबोधन बसंत शर्मा जी ने प्रस्तुत किया।
बौने पौधों की कला, बोनसाई लें जान।
मनहर छटा बसंत की, देख झूमिए जान!
बारह मास बसंत की, छटा मंजरी भव्य।
बोनसाई ने दिखा दी, प्रकृति सुंदरी नव्य।।
"यादों के बेतरतीब बिखरे पन्ने" विनीता श्रीवास्तव की कविता की चित्रांकन सहित प्रस्तुति की हेमंत मोहन ने -
यादों के पन्ने लिए, श्री वास्तव में देख
खींच रहे हेमंत स्वर, चित्रांकन से रेख
बुशरा मिर्ज़ा ने पेंटिंग के माध्यम से वृक्ष संरक्षण का संदेश दिया। अध्यक्ष आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल ने साहित्य और समाज के अनन्य संबध को इंगित करते हुए विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान के माध्यम से विविध रचनात्मक विधाओं में समन्वित से समाज निर्माण का संदेश और प्रेरणा दी।
विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान के सप्तम सारस्वत अनुष्ठान कला पर्व में आप सबका सस्नेह स्वागत है।
माँ शारदा - माँ भारती को नमन।
ले बसंत के पुष्प माँ, आए तेरे द्वार।
मुकुलित मन सुत सलिल का, नमन करो स्वीकार।।
आज मातृ दिवस पर सभी माताओं को नमन।
लिए मंजरी माल हम, विनत कर रहे भेंट।
अपनी बाँहों में हमें, मैया विहँस समेट।।
माता की छाया तले, बैठे बन मिथिलेश।
बुद्धि विनीता हो सदा, चाह नहीं अवधेश।।
मुख्य अतिथि डॉ. मुकुल तिवारी जी का वंदन।
छाया सक्सेना जी ने कोकिलकंठी स्वर में दीप प्रज्वलन पश्चात् सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।
आत्मदीप जलता रहे, ज्योतित रहे हमेश।
शब्दब्रह्म आराध हम, मिलें तुम्हें परमेश।।
संस्कारधानी को अपनी स्वर लहरी से मोह चुकी अर्चना गोस्वामी जी ने "मेघा रे जल भर लाए" प्रस्तुत कर सब को मंत्र मुग्ध कर दिया।
करे अर्चना मधुर स्वर, भाव पुनीता दिव्य
राम सुन रहे लीन हो, भक्ति भाव है भव्य
माननीय मंजरी शर्मा जी ने पाककला का अध्याय खोलते हुए लच्छेदार रबड़ी, मिथिलेश बड़गैया जी ने गुलाब जामुन, आशा नारायण जी ने आइसक्रीम तथा छाया सक्सेना जी ने बिना अंडे का केक बनाने की विधि व चित्र प्रस्तुत कर सबके मुँह में पानी ला दिया।
नृत्य गुरु बिटिया उपासना के निर्देशन में कालजयी कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की अमर कविता "ये मेरी गोदी की शोभा" पर मौसमी नंदी जी तथा बालिका आराध्या तिवारी ने उत्तम नृत्य प्रस्तुत किया।
आराध्या जिनको कला, गुरु उपासना श्रेष्ठ ।
अभिनंदन मौसमी का, कलाकार है ज्येष्ठ।।
अरुण लिए आलोक आ, जला रहा मणि दीप।
मणि मुक्ता है कला हर, कलाकार हैं सीप।।
तालाबंदी पर संदेशपरक फिलम मुकुल जी के माध्यम से प्रस्तुत की गयी। केरल की नृत्य कला 'कथकळि' की मनोहर नृत्य मुद्राओं और हस्त संचालन की रोचक प्रस्तुति बसंत शर्मा जी के माध्यम से हुई।
नन्हीं प्रशिक्षा रंजन राज पलामू झारखण्ड ने मनोहर नृत्य प्रस्तुति दी।
प्रतिभा बहुत प्रशिक्षा में, मिल हम सकें तराश।
धरती पर पग जमाकर, छू पाए आकाश।।
अभियंता अरुण भटनागर ने वास्तु व् अभियांत्रिकी की समृद्ध विरासत पर जानकारीपूर्ण आलेख प्रस्तुत किया।
वास्तु कला की विरासत, अद्वितीय लें मान।
नव यांत्रिकी के क्षेत्र में, नहीं देश का सान।।
तान्या श्रीवास्तव द्वारा कत्थक नृत्य प्रस्तुति को सबने सराहा।
तान्या कत्थक नृत्य में, है प्रवीण लें मान।
फूँक सके पाषाण में, नृत्य दिखाकर जान।।
लौह तरंग पर अमर चित्रपटीय गीत 'मेरा जूता है जापानी' सुनकर श्रोता झूम उठे।
बोनसाई कला पर सारगर्भित संबोधन बसंत शर्मा जी ने प्रस्तुत किया।
बौने पौधों की कला, बोनसाई लें जान।
मनहर छटा बसंत की, देख झूमिए जान!
बारह मास बसंत की, छटा मंजरी भव्य।
बोनसाई ने दिखा दी, प्रकृति सुंदरी नव्य।।
"यादों के बेतरतीब बिखरे पन्ने" विनीता श्रीवास्तव की कविता की चित्रांकन सहित प्रस्तुति की हेमंत मोहन ने -
यादों के पन्ने लिए, श्री वास्तव में देख
खींच रहे हेमंत स्वर, चित्रांकन से रेख
बुशरा मिर्ज़ा ने पेंटिंग के माध्यम से वृक्ष संरक्षण का संदेश दिया। अध्यक्ष आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल ने साहित्य और समाज के अनन्य संबध को इंगित करते हुए विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान के माध्यम से विविध रचनात्मक विधाओं में समन्वित से समाज निर्माण का संदेश और प्रेरणा दी।
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