अभियान : बाल पर्व ११-५-२०२०
माँ शारद का अमर यश, छाया है चहुँ ओर
जड़ को कर संजीव माँ, थामो जीवन डोर
चंदा मामा को रहीं, विकल बबीता टेर
आ भी जाओ धरा पर, करो नहीं अंधेर
हैं हैरान पढ़ाई से, बाल बसंत पुकार
चाँद-सितारे खोजते, कहाँ पतंग अरु यार
देश भक्ति का रोपतीं, बीज मुकुल गा गीत
नाती से लव समझते, अरुण नई है रीत
रूद्र प्रशिक्षा नवाशा, भारत की संतान
सीख-सिखाते सीख नव, करें देश पर मान
भजिया पोहा गरम जलेबी, लाई छाया साथ
बाँट खिलाएँ तभी बजाने, ताली जुड़ते हाथ
तन्मय हो तन्मय करें, कंप्यूटर से खेल
चूहा-बिल्ली कार में, मछली-भैंसा मेल
राजलक्ष्मी सीख दें, सुना कहानी मान
पीड़ित की करना मदद, होंगे खुश भगवान
व्यथा कथा क्या भूख की, सुनिए देकर ध्यान
मनोरमा की लघुकथा, कहे मिटा इंसान
यादें बचपन की मधुर, कभी न रीते कोष
कविता कहकर सुमधुर, कहें शुक्ल संतोष
श्यामल सिन्हा बन रहे, बच्चा फिर से आज
यार बहारों के हुए, शीश चढ़ाएँ ताज
बानी छत्तीसगढ़ी सुना, मन मोहें कर गान
रजनी जी सम सब करें, माटी पर अभिमान
राम नाम जप रहे हैं, होकर लीन विधान
मीना जी बचपन जिएँ, कर मूल्यों का गान
सरल सहज शिशु गीत हैं, शैशव की पहचान
लिए भारती कह रहीं, इनका नया वितान
सूर्य! मिटाओ कोरोना, श्रीधर विनय विशेष
दिया नृत्य कर बताती, प्रतिभा छिपी अशेष
हैं दमोह की शान जो,आन बान पहचान
काव्य बबीता जी पढ़ें, कलरव स्वर रस खान
बचपन ढूँढें बबीता, चौबे जी हैरान
कौन करेगा गृहस्थी, मत ढूँढो मतिमान
जैसा सुन्दर सृजन है, वैसे मनहर बोल
नमन बबिता जी तुम्हें, शब्द शब्द अनमोल
'पढ़ लो बच्चों' दे रहे, सीख उचित आलोक
लिख-पढ़कर बढ़ सकोगे, सके न कोई रोक
बिन आभार बढ़ाइए, आप न अपना भार
लार भले टपकाइए, फतवे से बेज़ार
बहुत खूब है अमर का, रचना कर्म विधान
छुओ गगन आगे बढ़ो, है बुंदेली आन
माँ शारद का अमर यश, छाया है चहुँ ओर
जड़ को कर संजीव माँ, थामो जीवन डोर
चंदा मामा को रहीं, विकल बबीता टेर
आ भी जाओ धरा पर, करो नहीं अंधेर
हैं हैरान पढ़ाई से, बाल बसंत पुकार
चाँद-सितारे खोजते, कहाँ पतंग अरु यार
देश भक्ति का रोपतीं, बीज मुकुल गा गीत
नाती से लव समझते, अरुण नई है रीत
रूद्र प्रशिक्षा नवाशा, भारत की संतान
सीख-सिखाते सीख नव, करें देश पर मान
भजिया पोहा गरम जलेबी, लाई छाया साथ
बाँट खिलाएँ तभी बजाने, ताली जुड़ते हाथ
तन्मय हो तन्मय करें, कंप्यूटर से खेल
चूहा-बिल्ली कार में, मछली-भैंसा मेल
राजलक्ष्मी सीख दें, सुना कहानी मान
पीड़ित की करना मदद, होंगे खुश भगवान
व्यथा कथा क्या भूख की, सुनिए देकर ध्यान
मनोरमा की लघुकथा, कहे मिटा इंसान
यादें बचपन की मधुर, कभी न रीते कोष
कविता कहकर सुमधुर, कहें शुक्ल संतोष
श्यामल सिन्हा बन रहे, बच्चा फिर से आज
यार बहारों के हुए, शीश चढ़ाएँ ताज
बानी छत्तीसगढ़ी सुना, मन मोहें कर गान
रजनी जी सम सब करें, माटी पर अभिमान
राम नाम जप रहे हैं, होकर लीन विधान
मीना जी बचपन जिएँ, कर मूल्यों का गान
सरल सहज शिशु गीत हैं, शैशव की पहचान
लिए भारती कह रहीं, इनका नया वितान
सूर्य! मिटाओ कोरोना, श्रीधर विनय विशेष
दिया नृत्य कर बताती, प्रतिभा छिपी अशेष
हैं दमोह की शान जो,आन बान पहचान
काव्य बबीता जी पढ़ें, कलरव स्वर रस खान
बचपन ढूँढें बबीता, चौबे जी हैरान
कौन करेगा गृहस्थी, मत ढूँढो मतिमान
जैसा सुन्दर सृजन है, वैसे मनहर बोल
नमन बबिता जी तुम्हें, शब्द शब्द अनमोल
'पढ़ लो बच्चों' दे रहे, सीख उचित आलोक
लिख-पढ़कर बढ़ सकोगे, सके न कोई रोक
बिन आभार बढ़ाइए, आप न अपना भार
लार भले टपकाइए, फतवे से बेज़ार
बहुत खूब है अमर का, रचना कर्म विधान
छुओ गगन आगे बढ़ो, है बुंदेली आन
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