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सोमवार, 18 मई 2020

कोरोना : बेमौत मरते मजूरों के नाम

कोरोना : बेमौत मरते मजूरों के नाम
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द्रौपदी के चीर जैसे रास्ते कटते नहीं
कट रहे उम्मीद के सिर कुर्सियाँ मदहोश हैं
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पाँव पहँचे लिये भूखे पेट की जब अर्थियाँ
कर दिया मरघट ने तालाबंद अब जाएँ कहाँ
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वाकई दीदार अच्छे दिनों का अब हो रहा
कुर्सियों की जय बची अखबारबाजी आज कल
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छातियाँ छत्तीस इंची और भी चौड़ी करो
मरेंगे मजदूर पूँजीपति नवाजे जाएँगे
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कर्ज बाँटो भीख दो जिंदा नहीं गैरत रहे
काम छीनो हाथ से मौका मिला चूको नहीं
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निकम्मी सरकार है मरकर यही हम कह गए
चीखती है असलियत टी वी पटे जयकार से
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संजीव
१५-५-२०२०
९४२५१८३२४४

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