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बुधवार, 3 अप्रैल 2019

कुण्डलिया चुनाव

कुण्डलिया
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आवारा मन ने कहा, लड़ ले आम चुनाव
खास-खास हैं सड़क पर, सम हैं भाव-अभाव
सम हैं भाव-अभाव, माँग लो माँग न चूको
नोटा में मतदान, करो हर दल पर भूँको
अब तक ठगता रहा, ठगाया अब बेचारा
मन की कहे तरंग, न हो जन-गण बेचारा
***
कहता साहूकार क्यों, मैं हूँ चौकीदार?
स्वांग रचाकर चाहता, बना सके सरकार
बना सके सरकार, न चाहे चूके मौका
बुआ भतीजा मिले, लगाने फिर से चौका
भैया-बहिना संग, बंधु को बंधु न सहता
दगाबाज दे दगा, चोर औरों को कहता
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संवस

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