संवाद कथा
अनदेखी
अनदेखी
संजीव
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'आजकल कुछ परेशान दिख रहे हैं, क्या बात है?' मैंने मित्र से पूछा.
''क्या बताऊँ? कुछ दिनों से पोत विद्यालय जाने से मना करता है."
'क्यों?'
"कहता है रास्ते में कुछ बदतमीज बच्चे गाली-गलौज करते हैं. इससे उसे भय लगता है.''
'अच्छा, मैं कल उससे बात करूँगा, शायद उसकी समस्या सुलझ सके.'
अगले
दिन मैं मित्र और उसके पोते के साथ स्थानीय भँवरताल उद्यान गया. मार्ग में
एक हाथी जा रहा था जिसके पीछे कुछ कुत्ते भौंक रहे थे.
'क्यों बेटे? क्या देख रहे हो?'
बाबा जी! हाथी के पीछे कुत्ते भौंक रहे हैं.
'हाथी कितने हैं?'
बाबाजी ! एक.
'और कुत्ते?'
कई
'अच्छा, हाथी क्या कर रहा है?'
कुत्तों की ओर बिना देखे अपने रास्ते जा रहा है.
हम उद्यान पहुँच गए तो ओशो वृक्ष के नीचे जा बैठे. बच्चे से मैंने पूछा: ' इस वृक्ष के बारे में कुछ जानते हो?'
जी, बाबा जी! इसके नीचे आचार्य रजनीश को ज्ञान प्राप्त हुआ था जिसके बाद उन्हें ओशो कहा गया.
मैंने बच्चे को बताया कि किस प्रकार ओशो को
पहले स्थानीय विरोध और बाद में अमरीकी सरकार का विरोध झेलना पड़ा, लेकिन
उन्होंने अपनी राह नहीं बदली और अंत में महान चिन्तक के रूप में इतिहास में
अमर हुए.
वापिस लौटते हुई मैंने बच्चे से पूछा: 'बेटे! यदि हाथी या ओशो राह रोकनेवालों पर ध्यान देकर रुक जाते तो क्या अपनी मंजिल पा लेते?'
नहीं बाबा जी! कोई कितना भी रास्ता रोके, मंजिल आगे बढ़ने से ही मिलती है.
''यार! आज तो गज़ब हो गया, पोटा अपने आप विद्यालय जाने को तैयार हो गया. कुछ देर बाद
उसके पीछे-पीछे मैं भी गया लेकिन वह रास्ते में भौकते कुत्तों से न डरा, न
उन पर ध्यान दिया, सीधे विद्यालय जाकर ही रुका.'' मित्र ने प्रसन्नता से
बताया.
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salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.in
3 टिप्पणियां:
Mahipal Tomar via yahoogroups.com
" संवाद कथा " अच्छी ,प्रस्तुति रोचक , सन्देश सटीक ,सलिल जी ,साधुवाद और बधाई ,
सादर ,
महिपाल
sn Sharma via yahoogroups.com
आ० आचार्य जी ,
प्रेरणादायक संवाद कथा के लिए साधुवाद !
आपकी कल्पना शक्ति को नमन
सादर
कमल
Amitabh Tripathi viayahoogroups.com
आदरणीय आचार्य जी,
बोध कथा के लिये आभार!
भूँकने वाले कुत्तों की नस्ल पुरा्नी और लुप्तप्राय हो गई है अब काटने वाले पाये जाते हैं। :)
उनसे बचने का उपचार ज़रूर बताइयेगा और काट लेने पर संक्रमण रोकने वाली वैक्सीन का भी पता दीजियेगा।
शुभकामनाओं सहित
सादर
अमिताभ त्रिपाठी
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अमिताभ त्रिपाठी
रचनाधर्मिता
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