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शुक्रवार, 12 अप्रैल 2019

सामयिक दोहे नोटा

सामयिक दोहे

भौंक रहा या रेंकता, सके न ईश्वर जान नेता को देखकर, उल्लू भी हैरान
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परेशान क्यों हो रहे, महाबली जी आप? मिट जाएँगे विपक्षी, दें साध्वी जी शाप
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कहें दलित हनुमान जी, वनवासी श्री राम सीता कहें न छोड़ना, मेरा दमन थाम
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सेना को तो बख्श दो, करो न तर्क वितर्क छीछालेदर मत करो, वे हैं सजग सतर्क
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टाँग अड़ाते व्यर्थ क्यों, इस-उस को तुम टोंक? खुद को एंकर कह रहे, जब मन चाहे भौंक
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क्यों न भेजते फ़ौज में, नेताजी सुत आप? वीर नहीं या जानता, कुर्सी देगा बाप??
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दलाध्यक्ष दल की करे, बात उचित है नीति जो है पूरे देश का, कह क्यों वरे कुरीति?
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औरों पर ऊँगली उठा, सोच रहे क्यों आप? जनता जान नहीं रही, किये आपने पाप
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नोटा सप्तक
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जनता ने पाया नया, शस्त्र करे उपयोग गणित गड़बड़ा दे सभी, नोटा करे प्रयोग
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सह न सकेंगे इस तरह, नोटा करता वार चारों खाने चित्त कर, कहे मुस्कुरा यार
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जन अपराधी तत्व को, चाह न सकता रोक नोटा दाँव न चूकता, कोई न सकता टोक
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निर्बल के बल राम थे, अब नोटा ले जान दलबदलू को दौड़ से, बाहर कर पहचान
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धन कंबल या सुरा ले, मत न बेचिए आप। नोटा देकर कीजिए, लोकतंत्र का जाप।।
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नेताओं के झूठ, का केवल एक जवाब। नोटा देकर पूछिए, कैसी चाल जनाब?
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अपने मुँह बनते मियाँ, मिट्ठू करें न शर्म। मतदाता नोटा दिखा, कहे जानता मर्म।।
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१२.४.२०१९

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