मुक्तिका:
संजीव
*
चल जब-तब परदेश को, अपना यही जुनून
गुड मोर्निंग करिए कहीं, कहीं आफ्टर नून
*
गर्मी की तारीफ में पढ़ा कसीदा एक
'भर्ता खाने के लिये, भटा धूप में भून'
*
दिल्ली में हो रहा है मर्यादा का खून
खून मत जला देखकर पहुँच देहरादून
*
आम आदमी बन लड़े कल जो आम चुनाव
आज हुए सबसे बड़े वे ही अफलातून
*
उपयोगी हो ठंड में, स्वेटर बुन ले आज
ले ले जितना मन कहे, सूर्य-किरण का ऊन
*
संजीव
*
चल जब-तब परदेश को, अपना यही जुनून
गुड मोर्निंग करिए कहीं, कहीं आफ्टर नून
*
गर्मी की तारीफ में पढ़ा कसीदा एक
'भर्ता खाने के लिये, भटा धूप में भून'
*
दिल्ली में हो रहा है मर्यादा का खून
खून मत जला देखकर पहुँच देहरादून
*
आम आदमी बन लड़े कल जो आम चुनाव
आज हुए सबसे बड़े वे ही अफलातून
*
उपयोगी हो ठंड में, स्वेटर बुन ले आज
ले ले जितना मन कहे, सूर्य-किरण का ऊन
*
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें