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नन्हीं मुन्नी मुनिया रानी
झट से हो गई बड़ी सयानी
मुनुआ के मन भाई मुनिया
अलग बसाई अपनी दुनिया
दो-दो गुड़ियाँ घर में आईं
कुहू-टिया नव खुशियाँ लाईं
ऊधम करतीं धूम मचातीं
मुनिया को सौ नाच नचातीं
पापा के कंधे चढ़ जातीं
नाना-नानी संग मस्तातीं
मुनिया बचपन में अपने
सोचे कितने देखे सपने
मामा-मौसी, नानी-नाना
कहाँ खो गया समय पुराना
काश आज वे पल जी पाऊँ
नाचूँ-कूदूँ, मौज मनाऊँ
कुहू-टिया ने ध्यान बटाया
मुनिया ने झट दिया जलाया
केक काटकर सबने खाया
जी भरकर आनंद मनाया
२-५-२०२१
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