*
दोहा मैं लिखता नहीं, दोहा प्रगटे आप।
कथ्य, भाव, रस आप ही, जाते दोहा-व्याप।।
*
तेरह-ग्यारह; विषम-सम, दोहा में दुहराव.
ग्यारह-तेरह सोरठा, करिए सहज निभाव.
*
दोहा ने दोहा सदा, शब्द-शब्द का अर्थ.
दोहा तब ही सार्थक, शब्द न हो जब व्यर्थ.
*
जिया जिया में बसा है, दोहा छंद पुनीत.
दोहा छंद जिया अगर, दिन दूनी हो प्रीत.
*
अंबर प्रियदर्शी बना, दिनकर शांत सुशील
उषा सुंदरी कमलवत, आसमान ज्यों झील
*
गला न घोंटें छंद का, बंदिश लगा अनेक.
सहज गेय जो वह सही, माने बुद्धि-विवेक.
दोहा मैं लिखता नहीं, दोहा प्रगटे आप।
कथ्य, भाव, रस आप ही, जाते दोहा-व्याप।।
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तेरह-ग्यारह; विषम-सम, दोहा में दुहराव.
ग्यारह-तेरह सोरठा, करिए सहज निभाव.
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दोहा ने दोहा सदा, शब्द-शब्द का अर्थ.
दोहा तब ही सार्थक, शब्द न हो जब व्यर्थ.
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जिया जिया में बसा है, दोहा छंद पुनीत.
दोहा छंद जिया अगर, दिन दूनी हो प्रीत.
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अंबर प्रियदर्शी बना, दिनकर शांत सुशील
उषा सुंदरी कमलवत, आसमान ज्यों झील
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गला न घोंटें छंद का, बंदिश लगा अनेक.
सहज गेय जो वह सही, माने बुद्धि-विवेक.
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कुछ अपनी कुछ और की, बात लीजिए मान.
नहीं किसी भी एक ने, पाया पूरा ज्ञान.
*कुछ अपनी कुछ और की, बात लीजिए मान.
नहीं किसी भी एक ने, पाया पूरा ज्ञान.
ओ शो मत कर; खुश रहो, ओशो का संदेश.
व्यर्थ रूढ़ि मत मानना, सुन मन का आदेश.
*
कुछ सुनना; कुछ सुनाना, तभी बनेगी बात.
अपने-अपने तक रहे, सीमित क्यों जज़्बात?
कुछ सुनना; कुछ सुनाना, तभी बनेगी बात.
अपने-अपने तक रहे, सीमित क्यों जज़्बात?
*
सुन ओशो की देशना, तृप्त करें मन-प्यास.
कुंठाओं से मुक्त हो, रखें अधर पर हास.
सुन ओशो की देशना, तृप्त करें मन-प्यास.
कुंठाओं से मुक्त हो, रखें अधर पर हास.
*
ओ' शो करना जरूरी, तभी सके जग देख.
मन की मन में रहे तो, कौन कर सके लेख
ओ' शो करना जरूरी, तभी सके जग देख.
मन की मन में रहे तो, कौन कर सके लेख
*
उत्सव
एकाकी रह भीड़ का अनुभव है अग्यान।
छवि अनेक में एक की, मत देखो मतिमान।।
*
दिखा एकता भीड़ में, जागे बुद्धि-विवेक।
अनुभव दे एकांत का, भीड़ अगर तुम नेक।।
*
जीवन-ऊर्जा ग्यान दे, अमित आत्म-विश्वास।
ग्यान मृत्यु का निडरकर, देता आत्म-उजास।।
*
शोर-भीड़ हो चतुर्दिक, या घेरे एकांत।
हर पल में उत्सव मना, सज्जन रहते शांत।।
*
जीवन हो उत्सव सदा, रहे मौन या शोर।
जन्म-मृत्यु उत्सव मना, रहिए भाव-विभोर।।
*
12.4.2018
छवि अनेक में एक की, मत देखो मतिमान।।
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दिखा एकता भीड़ में, जागे बुद्धि-विवेक।
अनुभव दे एकांत का, भीड़ अगर तुम नेक।।
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जीवन-ऊर्जा ग्यान दे, अमित आत्म-विश्वास।
ग्यान मृत्यु का निडरकर, देता आत्म-उजास।।
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शोर-भीड़ हो चतुर्दिक, या घेरे एकांत।
हर पल में उत्सव मना, सज्जन रहते शांत।।
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जीवन हो उत्सव सदा, रहे मौन या शोर।
जन्म-मृत्यु उत्सव मना, रहिए भाव-विभोर।।
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12.4.2018
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