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मंगलवार, 13 जनवरी 2015

navgeet: -naya saal

अंजुमन। उपहार। काव्य संगम। गीत। गौरव ग्राम। गौरवग्रंथदोहे। पुराने अंक संकलन। अभिव्यक्ति। कुण्डलिया। हाइकुहास्य व्यंग्य। क्षणिकाएँ। दिशांतर

नव बरस
सिर्फ सच का साथ देना
नव बरस

धाँधली अब तक चली, अब रोक दे
सुधारों के लिये खुद को झोंक दे
कर रहा मनमानियाँ, गाली बकें-
ऐसा जनप्रतिनिधि गटर में फेंक दे
सेकता जो स्वार्थ रोटी भ्रष्ट हो
सेठ-अफसर को न किंचित टेक दे
टेक का निर्वाह जनगण भी करे
टेक दें घुटने दरिंदे
इस बरस

अँधेरों को भेंट कुछ आलोक दे
दहशतों को दर्द-दुःख दे, शोक दे
बेटियों-बेटों में समता पल सके-
रिश्वती को भाड़ में तू झोंक दे
बंजरों में फसल की उम्मीद बो
प्रयासों के हाथ में साफल्य हो
अनेक रहें नेक, अ-नेक लड़ मरें
जयी हों विश्वास-आस
हँस बरस

संजीव सलिल
२९ दिसंबर २०१४
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