कुल पेज दृश्य

सोमवार, 23 मई 2011

एक षटपदी (कुण्डलिनी): भारत के गुण गाइए... संजीव 'सलिल'

एक षटपदी (कुण्डलिनी):                                                   
भारत के गुण गाइए...
संजीव 'सलिल'
*
भारत के गुण गाइए, ध्वजा तिरंगी थाम.
सब जग पर छा जाइये, सब जन एक समान..
सब जन एक समान प्रगति का चक्र चलायें.
दंड थाम उद्दंड शत्रु को पथ पढ़ायें..
बलिदानी केसरिया की जयकार करें शत.
हरियाली सुख, शांति श्वेत, मुस्काए भारत..
********

3 टिप्‍पणियां:

Navin C. Chaturvedi ने कहा…

आचारी जी षट्पदी और कुंडली में क्या अंतर है| कृपया हम लोगों को इस बारे में बताने की कृपा करें|
Navin C. Chaturvedi 9:45am May 21

Navin C. Chaturvedi ✆ ने कहा…

षट्पदी नामकरण गलत किन्तु प्रचलन में है. वास्तव में ६ पंक्तियों की रचना शत्चरणी कही जाना चाहिए, किन्तु इसे षट्पदी कहा जाता है. ६ पंक्तियों की एक विशिष्ट प्रकार की रचना जिसमें कुछ विशेष नियमों का पालन किया जाता है (यथा: प्रथम दो पंक्तियाँ दोहा हों, अंतिम ४ पंक्तियाँ रोला हों, दोहा का अंतिम चरण रोला कल प्रथम चरण हो. कुण्डलिनी का प्रारंभ एवं अंत समान शब्द या शब्द-समूह से हो या न हो इस पर मतभेद हैं). हर कुण्डलिनी छंद शत्चरणी होती है किन्तु हर शत्चरणी काव्य रचना कुण्डलिनी नहीं होती.

Om Prakash Nautiyal ने कहा…

Om Prakash Nautiyal 9:03am May 22
रोचक और उपयोगी जानकारी के लिये आभार !