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शनिवार, 28 मई 2011

रोचक चर्चा: कमल और कुमुद -रावेंद्रकुमार

रोचक चर्चा:
कमल और कुमुद

रावेंद्रकुमार
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आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी ने अपने ललित निबंध 'महाकवि माघ का प्रभात वर्णन' में स्पष्ट लिखा है -
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जब कमल शोभित होते हैं, तब कुमुद नहीं, और जब कुमुद शोभित होते हैं तब कमल नहीं। दोनों की दशा बहुधा एक सी नहीं रहती परन्तु इस समय, देखी जाती है। कुमुद बन्द होने को है; पर अभी पूरे बन्द नहीं हुए। उधर कमल खिलने को है, पर अभी पूरे खिले नहीं। एक की शोभा आधी ही रह गयी है, और दूसरे को आधी ही प्राप्त हुई है। रहे भ्रमर, सो अभी दोनों ही पर मंडरा रहे हैं और गुंजा रव के बहाने दोनों ही के प्रशंसा के गीत से गा रहे हैं। इसी से, इस समय कुमुद और कमल, दोनों ही समता को प्राप्त हो रहे हैं।

कमल और कुमुद एक ही फूल है या अलग-अलग? पाठक कृपया बतायें.

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