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गुरुवार, 20 अक्तूबर 2022

शारदा स्तुति (बुंदेली), छंद महावीर,

शारदा स्तुति (बुंदेली)
भोर-साँझ गीत गाऊँ, सारद माँ तोरे।
अटपटी जुबान, बैन लटपट हैं मोरे।।
चना-चरौंजी चढ़ाऊँ रे!
भोर-साँझ गीत गाऊँ रे!!
लै, गति-यति, छंदहीन तुकबंदी मैया!
जोड़-तोड़ रओ मोय गात बनत नैया।।
साध थको, सधत नईयां छंद जे निगोरे
सरन आओ, सिर नवाऊँ रे!
भोर-साँझ गीत गाऊँ रे!!
कितै पाऊँ अलंकार, को दै रस-गागर?
अंजुरी भर सलिल माई!, जई मोरो सागर।।
स्वीकारो पान-फूल, माँ! नरियल लो रे!
पैर परूँ जै गुँजाऊँ रे!
भोर-साँझ गीत गाऊँ रे!!
आखर दो सिखा माई!, पढ़ लेऊँ पोथी।
मन मंदिर बरत रए, कोसिस की ज्योति ।।
दै दो आसीस मोय, नव आसा बो रे!
तोरे मन तनक भाऊँ रे!
भोर-साँझ गीत गाऊँ रे!!
२०-१०-२०२२
•••
हिन्दी के नये छंद- १४
महावीर छंद
हिंदी के नए छंदों की श्रुंखला में अब तक आपने पढ़े पाँच मात्रिक भवानी, राजीव, साधना, हिमालय, आचमन, ककहरा, तुहिणकण, अभियान, नर्मदा, सतपुडा छंद। अब प्रस्तुत है षड्मात्रिक छंद महावीर
विधान-
१. प्रति पंक्ति ६ मात्रा।
२. प्रति पंक्ति मात्रा क्रम लघु गुरु गुरु लघु।
गीत
.
नमस्कार!
निराकार!!
.
रचें छंद
निरंकार।
भरें भाव
अलंकार।
मिटे तुरत
अहंकार।
रहें देव
इसी द्वार।
नमस्कार!
निराकार!!
.
भरें बाँह
हरें दाह।
करें पूर्ण
सभी चाह।
गहें थाह
मिले वाह।
लगातार
करें प्यार
नमस्कार!
निराकार!!
२०-१०-२०१७
***
धरागमन की वर्षग्रन्थि पर अभिनन्दन लो
सतत परिश्रम अक्षत, नव प्रयास चन्दन लो
सलिल-सुमन अभिषेक करे, हो सफल साधना
सत-शिव-सुन्दर सार्थकता हित शत वन्दन लो

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