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मंगलवार, 6 अक्तूबर 2020

नवदुर्गा - कालरात्रि

सप्तम् स्वरूप कालरात्रि
रेखा ताम्रकार 'राज'
*
सब को मारे उस काल की बन गई रात्रि
तब ही माता का नाम पड़ गया कालरत्रि
चार भुजा वाली ये माता है त्रिनेत्र धारी
दुष्टों को भय देती करे गर्दभ की सवारी
भयंकर रूप धर भवानी रण में विचरती
असुरों का नाश कर देवों की रक्षा करती
साधक जो माँ का ध्यान करें जै-जै बोले
उनके सब सिद्धियों के पल में द्वार खोले
शुभ फल दायिनी माता की करलो पूजा
मनोरथ पूर्ण हो नही है साधन कोई दूजा
सप्तम् नवरात्रे में कालरात्रि को मनाओ
प्रियजन व अपना जीवन सफल बनाओ
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