दा'जी
रामेश्वर शर्मा 'रामू भैया'
*
कांधा पै
बठाण'र म्हने
च्यारूं मेरी फरै छा
म्हारा दा'जी
म्हूं
बैठ्यो-बैठ्यो
वांका कांधा पै
वांकी खोपड़ी में
मारतो रैवेछो
कड़कोल्या
होता रैवेछा राजी
म्हारा दा'जी
*
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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