कुल पेज दृश्य

गुरुवार, 15 अक्तूबर 2020

दोहा

 छंद दोहा

प्रकार: अर्धसम मात्रिक छंद
विधान २ पद, २ विषम चरण, २ सम चरण, १३-११ पर यति, पदादि में एज शब्द में जगण निषेध, पदांत गुरु-लघु
*
मानव की करतूत लख, भुवन भास्कर लाल.
पर्यावरण बिगाड़कर, आप बुलाता काल.
*
प्रकृति अपर्णा हो रही, ठूँठ रहे कुछ शेष
शीघ्र समय वह आ रहा, मानव हो निश्शेष
*
नीर् वायु कर प्रदूषित, मचा रहा नर शोर
प्रकृति-पुत्र होकर करे, नाश प्रकृति का घोर.
*
हत्या करता वनों की, रौंदे खोद पहाड़.
क्रुद्ध प्रकृति आकाश भी, विपदा रही दहाड़
*
माटी मिट है कीच अब, बनी न तेरी कब्र.
चेताता है लाल रवि, सुधर तनिक कर सब्र.
***
१५-१०-२०१८

कोई टिप्पणी नहीं: