कुल पेज दृश्य

मंगलवार, 1 सितंबर 2020

गीत

गीत :
संजीव
*
सुखों की
भीख मत दो,
वे तो मेरा
सर झुकाते हैं
दुखों का
हाथ थामे,
सर उठा
जीना मुझे भाता।
*
ज़माने से
न शिकवा
गैर था
धोखा दिया
तो क्या?
गिला
अपनों से है
भोंका छुरा
मिल पीठ में
हँसकर
*
१-९-२०१४

कोई टिप्पणी नहीं: