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शनिवार, 7 मार्च 2020

याद तुम्हारी

याद तुम्हारी
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याद तुम्हारी नेह नर्मदा
आकर देती है प्रसन्नता
हर लेती है हर विपन्नता

याद तुम्हारी है अखण्डिता
सह न उपेक्षा हो प्रचंडिता
शुचिता है साकार वन्दिता

याद तुम्हारी आदि अमृता
युग युग पुजती हो समर्पिता
अभिनंदित हो आत्म अर्पिता
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संजीव
७-३-२०२०

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