कुल पेज दृश्य

शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2019

काह न स्त्री कर सके

पुरुष बिचारा
स्त्री को हमेशा एक पुरुष का साथ चाहिए जिसे हर गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार ठहराना जा सके।
पिता तानाशाह
भाई लापरवाह
पति नाकाबिल
बेटा नालायक
पोता नादान
देवियाँ भी पीछे नहीं हैं।
- लक्ष्मी विष्णु से- 'दिन भर पसरे रहते हो, कभी तो बाहर जाओ।'
- पार्वती शिव से 'कभी तो भले मानुषों की तरह घर में रहा करो।'
- राधा कृष्ण से बुढ़ापा आ रहा है अब तो सुधर जाओ।
- सरस्वती ब्रम्हा से- बूढ़े हो गए, पीछा छोड़ो।
- रिद्धि-सिद्धि की किचकिच से घबराकर गणेश जी ने हाथी से कान उधार लेकर रुई ठूँस ली।
- शंकर जी ने पंगा लिया तो पार्वती जी महाकाली बन उनकी छाती पर सवार हो गईं।
- नंदिनी-इरावती से घबराकर कायस्थों के कुलदेवता ऐसे भागे कि लौटे ही नहीं, इसलिए  उनका नाम ही हो गया चित्रगुप्त।
खैर चाहते हो बने रहो जोरू के गुलाम, वह भी बेदाम।
***

कोई टिप्पणी नहीं: