रचना-प्रति रचना:
ऋतुराज बसंत पर १० छन्न पकय्या
योगराज प्रभाकर
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छन्न पकय्या,छन्न पकय्या, छन्न पकाई बरसों
तन मन को महकाती जाए, पीली पीली सरसों. (१)
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छन्न पकय्या,छन्न पकय्या छन्न के ऊपर केरी
पीली डोर का पल्लू थामे, पीली पतंग उड़े री. (२)
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छन्न पकय्या,छन्न पकय्या, छन्न बजाए बाजा
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छन्न पकय्या,छन्न पकय्या, छन्न बजाए बाजा
राजा महाधिराज बसंता, सब ऋतुयों का राजा (३)
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छन्न पकय्या,छन्न पकय्या, मस्ती के हिचकोले
छन्न पकय्या,छन्न पकय्या, मस्ती के हिचकोले
पार्वती को ब्याहने निकले, मेरे बम बम भोले. (४).
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छन्न पकय्या,छन्न पकय्या, हर जुबां ये बातें
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छन्न पकय्या,छन्न पकय्या, हर जुबां ये बातें
मस्ती मस्ती दिन हैं सारे, नशा नशा सी रातें (५).
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छन्न पकय्या,छन्न पकय्या, कैसा नियम निराला
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छन्न पकय्या,छन्न पकय्या, कैसा नियम निराला
झूम झूम जो खिले बसंता, डर डर भागे पाला. (६)
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छन्न पकय्या,छन्न पकय्या, वादा एक निभाना
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छन्न पकय्या,छन्न पकय्या, वादा एक निभाना
हे ऋतुराज ! तुम्हें कसम है, छोड़ अभी न जाना. (७).
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छन्न पकय्या,छन्न पकय्या, डर के पतझड़ भागे
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छन्न पकय्या,छन्न पकय्या, डर के पतझड़ भागे
सारी धरती ही मुझको तो, दुल्हन जैसी लागे. (८)
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छन्न पकय्या,छन्न पकय्या, बात बनी है तगड़ी
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छन्न पकय्या,छन्न पकय्या, बात बनी है तगड़ी
बूढे अमलतास के सर पर, पीली पीली पगड़ी. (९)
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छन्न पकय्या,छन्न पकय्या, दिल बैठा सा जाए,
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छन्न पकय्या,छन्न पकय्या, दिल बैठा सा जाए,
कंक्रीट के जंगल तक तक, ऋतु राजा घबराए. (१०)
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प्रति रचना
संजीव 'सलिल'
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छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न पकाई आकर.
प्रति रचना
संजीव 'सलिल'
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छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न पकाई आकर.
झूम रहा हैं हवा बसन्ती, के संग आज प्रभाकर..
छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न पकाई भाई.
गौराजी के संग बौरा ने, आज करी कुडमाई..
छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न मचाये धूम.
ऊषा के संग सूरज का, चक्कर हमको मालूम.
छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न उडाये पतंग.
संसद में नेता लड़ते हैं, नकली-नकली जंग..
छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न न जाना भूल.
बेमतलब बातों को देती, टी. व्ही. चैनेल तूल..
छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न बोलिए साँच.
पोल खोलिए गुँजा कबीरा, कथनी-करनी बाँच..
छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न बजाएं ताली.
लोकतंत्र की पंगत जीमें, नेता खाकर गाली..
छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न करें मतदान.
सोच समझकर, प्रतिनिधि चुनिए, करें नहीं मत-दान..
छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न फूलती सरसों.
चंपा संग चमेली भागी, मौका पाकर परसों..
छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न ठगिनी है माया.
फिर काहे सारा जग, माया पीछे है बौराया..
छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न न मनो हार.
नफरत के बदले बाँटो तुम, दिल से दिल को प्यार..
छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न गुनगुनी धूप.
सुबह ताप पाता जो- खुद को, समझ रहा है भूप..
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10 टिप्पणियां:
✆ द्वारा yahoogroups.com ekavita
छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न के ऊपर राई
छनछनाती आपकी ये दोहावली हमें खूब भाई !
सादर,
दीप्ति
✆ द्वारा yahoogroups.com ekavita
बहुत मनोहारी है ।
विजय
achal verma ✆ ekavita
एकदम नई विधा |
पढ़कर मैं तो अपने बचपन में पहुँच गया
जब मेरी दादी ऐसे ही गीत गा गा कर हमें
खाना खिलाती थी \
बहुत प्रभावशाली रचना |
Achal Verma
kusum sinha ✆ ekavita
priy sanjiv ji
kitna sundar aap likh lete hain? mujhe bhi etna sundar likhna aata to kya bat hai badhai bahut bahut badhai
kusum
- pratapsingh1971@gmail.com
आदरणीय आचार्य जी
बहुत ही मजेदार !
छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न फूलती सरसों.
चंपा संग चमेली भागी, मौका पाकर परसों.. ................:)))))))))))))))))))))))))))))))))
सादर
प्रताप
✆ द्वारा yahoogroups.com ekavita
आ० आचार्य जी ,
छ्न्न पकैया शैली ने समां बांध दिया। कुछ तरंगें मुझे भी हिलोर गईं ।
प्रस्तुत कर रहा हूँ -
छ्न्न पकैया छ्न्न पकैया छ्न्न से आजा पूत
बिल्ली नही तो पी जायेगी तेरा सारा दूध
छ्न्न पकैया छ्न्न पकैया छ्न्न से आई रेल
भीड-भाड ध्क्का-मुक्की का कैसा रेलम-पेल
छ्न्न पकैया छ्न्न पकैया छ्न्न से कूदा बन्दर
छत पर खडी नैन मटकाती भगी कामिनी अन्दर
छ्न्न पकैया छ्न्न पकैया छ्न्न पड रहे वोट
लाखों खर्च किये प्रत्याशी बैठे हैं दम रोक
छ्न्न पकैया छ्न्न पकैया छ्न्न से मारे छ्न्द
पढ रचना आचार्य सलिल की दंग हैं पाठ्क-वृन्द
कमल
kusum sinha ✆ ekavita
priy sanjiv ji
kitni majedar aur mohak dohe hain? badhai bahut badhai aise dohe sirf aap hi likh sakte hain
kusum
Kiran Sinha ✆ ekavita ks196343@yahoo.com
Adarniye,
kavita bahut hi sundar hai, man ko bahut bhai.bahut sari yadon ne ana jana shuru kar diya
man ki duniya men. hardik sarahana svikar karen.
Sadar
Kiran
छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न दीप्ति के देश.
अचल-विजय सँग सलिल भेज दे, बासंती सन्देश..
छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न न घटे प्रताप.
कमल कुसुम की कीर्ति-कथा जाए सब जग में व्याप..
छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न धरा के नाम.
हाथ किरण के रवि ने भेजा, जाने क्या पैगाम..
छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न बहुत आभार.
धन्य भाग्य है 'सलिल' पा रहा, आप सभी का प्यार..
छ्न्न पकैया छ्न्न पकैया छ्न्न छमाछम छूम.
दादी-नानी लाड़ लडातीं, गोदी में ले घूम..
छ्न्न पकैया छ्न्न पकैया छ्न्न कहाँ गये वे दिन.
मन मारे जा रहे नर्सरी बच्चे पल गिन-गिन..
छ्न्न पकैया छ्न्न पकैया छ्न्न बहुत आभार.
खूब लुटाया प्यार आप है सचमुच 'सलिल' उदार..
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