सरस गीत:
.....लिखना पाती
कुसुम सिन्हा
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जब सावन घन बरस न पायें
उमड़ें-घुमड़ें औ' थम जाएँ
भूल न जाना लिखना पाती
भरी दुपहरी हरी नींद में
जब औचक ऑंखें खुल जाएँ
औ प्रीतम का मीठा सपना
अचक अचानक ही चुक जाएँ
भूल न जाना लिखना पाती
जब सखियाँ मिल कजली गायें
पेंगें पर पेंगें लहरायें
सुधि के बदल घिर घिर आयें
औ आँखों में नींद न आये
भूल न जाना लिखना पाती
जब फूलों से भरी साख वह
झुक झुक आलिंगन को आयें
आँखों के अम्बर में जब तब
आंसू के बदल लहरायें
भूल न जाना लिखना पाती
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