सामयिक अवधी कविता
अबकी चुनाव हम लड़ि जाबै
ॐ प्रकाश तिवारी
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तुम्हरै सपोर्ट चाही ददुआअबकी चुनाव हम लड़ि जाबै ।
कीन्हेंन बहुतेरे कै प्रचार,
जय बोलेन सबकी धुआँधार,
दुइ पूड़ी के अहसान तले
सगरौ दिन कीन्हेंन हम बेगार ।
जब तलक नाँहिं परि गवा वोट
नेकुना से घिसि डारिन दुआर,
अब जीति गए तो ई ससुरै
चीन्हत नाँहीं चेहरा हमार ।
अबकी इनहिन सबके खिलाफ
हम टिकस की खातिर अड़ि जाबै ।
तुम्हरै सपोर्ट चाही ------------
छपुवाउब बड़े-बड़े पर्चा,
करबै पुरहर खर्चा-बर्चा,
ददुआ तनिकौ कमजोर परब
तौ माँगब तुमहूँ से कर्जा ।
चहुँ दिशि होई हमरी चर्चा,
पउबै हम नेता कै दर्जा,
लोगै हमका द्याखै खातिर
करिहैं दस काम्यौं कै हर्जा ।
अबकी दिल्ली दरबार मा हम
अपनिउ एक चौकी धरि द्याबै ।
तुम्हरै सपोर्ट चाही ----------
मूंठा राखब आपन निसान,
पटकब बिपक्ष कै पकरि कान,
करवाय लेब कप्चरिंग बूथ,
बँटवाय देब सतुआ-पिसान ।
अबहीं तक छोलेन घाँस बहुत,
अब राजनीति में भै रुझान,
तौ जीति के ददुआ दम लेबै,
मन ही मन मा हम लिहन ठान ।
धोबी का वोट मिलै खातिर
गदहौ के पाँयन परि जाबै ।
तुम्हरै सपोर्ट चाही ---------
जब पहिर के निकरब संसद मां
हम उज्जर कुर्ता खादी कै,
चेहरा जाए झुराय ददुआ,
नेतन की कुल आबादी कै ।
अबकिन चुनाव मा नापि लिअब
जलवा इन सब की आँधी कै,
एक दिन मा लै लेबै हिसाब
हम भारत की बरबादी कै ।
संसद मां प्रश्न उठावै कै
हम एक्कौ पैसा न ल्याबै ।
तुम्हरै सपोर्ट चाही ---------
है याक अर्ज तुम सब जन से,
अबकी बिजयी करिहौ मूठा,
जैसन जीतब ददुआ तुमका
दिलवैबै शक्कर कै कोटा ।
आलू-पियाज अफरात रहे,
ना परै देब तनिकौ टोटा,
तुम सबका सैंक्सन करवइबै
जहता कै थरिया औ लोटा ।
विश्वास करौ हम संसद में
एक टका दलाली न खाबै ।
तुम्हरै सपोर्ट चाही ------
- ओमप्रकाश तिवारी
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