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शनिवार, 11 फ़रवरी 2012

सामयिक कुण्डलियाँ: संजीव 'सलिल'

सामयिक कुण्डलियाँ:
संजीव 'सलिल'
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नार विदेशी सोनिया, शेष स्वदेशी लोग.
सबको ही लग गया है, राजनीति का रोग..
राजनीति का रोग, चाहते केवल सत्ता. 
जनता चाहे काट न पाये इनका पत्ता.
'सलिल' आयें जब द्वार पर दें इनको दुत्कार.
दल कोई भी हो सभी चोरों के सरदार..
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दल का दलदल ख़त्म कर, चुनिए अच्छे लोग.
जिन्हें न पद का लोभ हो, साध्य न केवल भोग..
साध्य न केवल भोग, लक्ष्य जन सेवा करना.
करें देश-निर्माण पंथ ही केवल वरना.
कहे 'सलिल' कवि, करें योग्यता को मत ओझल.
आरक्षण को कर समाप्त, योग्यता ही हो संबल..

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