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शुक्रवार, 26 मार्च 2010

-- :: दोहे भोजपुरी में :: -- 'सलिल'

दोहे भोजपुरी में:

पनघट के रंग अलग बा, आपनपन के ठौर.
निंबुआ अमुआ से मिले, फगुआ अमुआ बौर..
*
खेत हुई रहा खेत क्यों, 'सलिल' सून खलिहान?
सुन सिसकी चौपाल के, पनघट के पहचान..
*
आपन गलती के मढ़े, दूसर पर इल्जाम.
मतलब के दरकार बा, भारी-भरकम नाम..
*
परसउती के दरद के, मर्म न बूझै बाँझ.
दुपहरिया के जलन के, कइसे समझे साँझ?.
*
कौनऊ के न चिन्हाइल, मति में परि गै भाँग.
बिना बात के बात खुद, खिचहैं आपन टाँग..
*
अउरत अइसन छहंतरी, हुलिया देत बिगाड़.
मरद बनाइल नामरद, करिके तिल के ताड़..
*
भोजपुरी खातिर 'सलिल', जान लड़इहै कौन?
अइसन खाँटी मनख कम, जे करि रइहैं मौन..
*
खाली चौका देखि कै, दिहले चूहा भाग.
चौंकि परा चूल्हा निरख, आपन मुँह में आग..
*
'सलिल' रखे संसार में, सभका खातिर प्रेम.
हर पियास हर किसी की, हर की चाहे छेम..
*
कौनो बाधा-विघिन के, आगे मान न हार.
श्रद्धा आ सहयोग के, दम पे उतरल पार..
*
कब आगे का होइ? ई, जो ले जान- सुजान.
समझ-बूझ जेकर नहीं, कहिये है नादान..

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6 टिप्‍पणियां:

Navin bhojpuria ने कहा…

सलिल जी प्रणाम आ जय भोजपुरी

एक बार फेरु रउवा लाजवाब रचना ले के आईल बानी , आ साँच पुछे त जब रउवा चौपाल मे लउकी ने तवना घरी हमरा लाग जाला कि आज कुछ ना कुछ नीमन पढे के मिली ।


बहुत ही सुन्दर , समाज के मर्म के पहचानत राउर एक एक लाईन बा ।


खेत हुई रहा खेत क्यों, 'सलिल' सून खलिहान?
सुन सिसकी चौपाल के, पनघट के पहचान..

बहुत बहुत धन्यवाद !


साधुवाद बा ।



जय भोजपुरी

rajneesh kumar singh ने कहा…

bahut niman ba raura ke bahut bahut dhanyawad aur hamra taraf se charan sparsh....

Sudhir Kumar ने कहा…

भोजपुरी खातिर 'सलिल', जान लड़इहै कौन?
अइसन खाँटी मनख कम, जे करि रइहैं मौन..

वाकई, एक से बढ के एक दोहा लिखले बानी सलिल जी, आ हर एक में जीवन के मर्म आ अर्थ छूपल बाटे. राउर दोहा के हमरा बेसब्री से इंतजार रहेला. एही तरह हमनी के मार्गदर्शन करत रहीं...

brij kishor tiwari ने कहा…

शाही जी प्रणाम आ जय भोजपुरी..........
बहुत बढ़िया दोहा बा...........

परसउती के दरद के, मर्म न बूझै बाँझ.
दुपहरिया के जलन के, कइसे समझे साँझ?.


सुनले रहली ह
जाके पैर न फटे बेवाई ,उ का जाने पीर परायी

साधुवाद बा रउवा के

जय भोजपुरी .....

shashi ranjan mishra ने कहा…

सलिल जी प्रणाम आ जय भोजपुरी !!!
इतना मर्मवाला दोहा पढ़ के जियरा हुलाश गईल.... भोजपुरी में एह तरह के रचना के प्रयोग बहुत ही अनूठा बा | आगे भी राउर रचना के इन्तेजार रही

सादर
शशि

shashi kumar singh ने कहा…

jai bhojpuri
kamal ke doha likhale bani sanjiv jii

raur rachana par ke hum raur fan ho gali ha
lajabab rahela raur rachana

dhanywad
jai bhojpuri