ममता बनर्जी "मंजरी"
*
बस जाओ तुम मेरे उर में , हंसवाहिनी हे माता।
विद्या धन से झोली भर कर ,आज निभाओ तुम नाता।
आस लगाए द्वार खड़ी मैं, आज कृपा मुझ पे कर दो।
चले लेखनी मेरी निसदिन,विद्या से झोली भर दो।
भरती जाऊं रचनाओं से ,दिन प्रतिदिन मैं खाता।।
बस जाओ तुम उर में मेरे..........।
विद्या के बल पर मैं चमकूँ नाम जगत में हो अपना।
पूरी हो जीवन की आशा,पूरे हो हर इक सपना।
लाज रखो हे मइया मेरी,कृपा करो विद्या दाता।।
बस जाओ तुम उर में मेरे.........।
*ममता बनर्जी "मंजरी"
बस जाओ तुम मेरे उर में , हंसवाहिनी हे माता।
विद्या धन से झोली भर कर ,आज निभाओ तुम नाता।
आस लगाए द्वार खड़ी मैं, आज कृपा मुझ पे कर दो।
चले लेखनी मेरी निसदिन,विद्या से झोली भर दो।
भरती जाऊं रचनाओं से ,दिन प्रतिदिन मैं खाता।।
बस जाओ तुम उर में मेरे..........।
विद्या के बल पर मैं चमकूँ नाम जगत में हो अपना।
पूरी हो जीवन की आशा,पूरे हो हर इक सपना।
लाज रखो हे मइया मेरी,कृपा करो विद्या दाता।।
बस जाओ तुम उर में मेरे.........।
*ममता बनर्जी "मंजरी"
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