दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु
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बुधवार, 7 अक्टूबर 2020
मुक्तक
मुक्तक * चुप्पियाँ बहुधा बहुत आवाज़ करती हैं बिन बताये ही दिलों पर राज करती हैं बनीं-बिगड़ी अगिन सरकारें कभी कोई आम लोगों का कहो क्या काज करती हैं? *
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