प्रणति-गीत
*
शत-शत नमन पूज्य माँ-पापा
यह जीवन है
देन तुम्हारी.
*
वसुधा-नभ तुम, सूर्य-धूप तुम
चंद्र-चाँदनी, प्राण-रूप तुम
ममता-छाया, आँचल-गोदी
कंधा-अँगुली, अन्न-सूप तुम
दीप-ज्योति तुम
'मावस हारी
*
दीपक-बाती, श्वास-आस तुम
पैर-कदम सम, 'थिर प्रयास तुम
तुमसे हारी सब बाधाएँ
श्रम-सीकर, मन का हुलास तुम
गयी देह, हैं
यादें प्यारी
*
तुममें मैं था, मुझमें तुम हो
पल-पल सँग रहकर भी गुम हो
तब दीखते थे आँख खोलते
नयन मूँद अब दीखते तुम हो
वर दो, गहें
विरासत प्यारी
*
रहे महकती सींचा जिसको
तुमने वह
संतति की क्यारी
***
७.१०.२०१८
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
कुल पेज दृश्य
बुधवार, 7 अक्टूबर 2020
प्रणति-गीत
चिप्पियाँ Labels:
पापा,
प्रणति-गीत,
माँ
आचार्य संजीव वर्मा सलिल
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें