माहिया
*
सेविन जी न घबराना
फिर करना कोशिश
चंदा पे उतर जाना।
*
है गर्व बहुत सबको
आँखों का तारा
इसरो है बहुत प्यारा।
*
मंजिल न मिली तो क्या
सही दिशा में पग
रख पा ही लेंगे कल।
*
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें