मुक्तिका
- चिंतन करें, चिंता तजें
करनी करें, प्रभु भी भजें
करनी गलत करिए नहीं
हो गलत तो मन में लजें
बनिए सहायक दीन के
कर कर्म शुभ जग में पुजें
हैं बोलियाँ अपनी सभी
उद्यान में गुल सम सजें
तन को सँवारे नित 'सलिल'
मन भी हमारे अब मँजें
*
- चिंतन करें, चिंता तजें
करनी करें, प्रभु भी भजें
करनी गलत करिए नहीं
हो गलत तो मन में लजें
बनिए सहायक दीन के
कर कर्म शुभ जग में पुजें
हैं बोलियाँ अपनी सभी
उद्यान में गुल सम सजें
तन को सँवारे नित 'सलिल'
मन भी हमारे अब मँजें
*
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