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गुरुवार, 7 फ़रवरी 2019

कुण्डलिया

कुण्डलिया 
जल-थल हो जब एक तो, कैसे करूँ निबाह
जल की, थल की मिल सके, कैसे-किसको थाह?
कैसे-किसको थाह?, सहायक अगर शारदे 
संभव है पल भर में, भव से विहँस तार दे 
कहत कवि संजीव, हरेक मुश्किल होती हल
करें देखकर पार, एक हो जब भी जल-थल
*

७.२.२०१७ 

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