लघुकथा
स्वतंत्रता
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जातीय आरक्षण आन्दोलन में आगजनी, गुंडागर्दी, दुराचार, वहशत की सीमा को पार करने के बाद नेताओं और पुलिस द्वारा घटनाओं को झुठलाना, उसी जाति के अधिकारियों का जाँच दल बनाना, खेतों में बिखरे अंतर्वस्त्रों को देखकर भी नकारना, बार-बार अनुरोध किये जाने पर भी पीड़ितों का सामने न आना, राजनैतिक दलों का बर्बाद हो चुके लोगों के प्रति कोई सहानुभूति तक न रखना क्या संकेत करता है?
यही कि हमने उगायी है अविश्वास की फसल चौपाल पर हो रही चर्चा सरपंच को देखते ही थम गयी, वक्ता गण देने लगे आरक्षण के पक्ष में तर्क, दबंग सरपंच के हाथ में बंदूक को देख चिथड़ों में खुद को ढाँकने का असफल प्रयास करती सिसकती रह गयी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ।
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