कुल पेज दृश्य

शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2016

navgeet

फागुनी नवगीत -
तुम क्या आयीं
*
तुम क्या आयीं
रंगों की बौछार हो गयी
*
बासंती मौसम फगुनाया
आम्र-मौर जी भर इठलाया
शुक-सारिका कबीरा गाते
खिल पलाश ने चंग बजाया
गौरा-बौरा भांग चढ़ाये
जली होलिका
कनककशिपु की हार हो गयी
तुम क्या आयीं
रंगों की बौछार हो गयी
*
ढपली-मादल, अम्बर बादल
हरित-पीत पत्ते नच पागल
लाल पलाश कुसुम्बी रंग बन
तन पर पड़े, करे मन घायल
करिया-गोरिया नैन लड़ायें
बैरन झरबेरी
सम भौजी छार हो गयी
तुम क्या आयीं
रंगों की बौछार हो गयी
*
अररर पकड़ो, तररर झपटा
सररर भागा, फररर लपटा
रतनारी भई सदा सुहागन
रुके न चम्पा कितनऊ डपटा
'सदा अनंद रहे' गा-गाखें
गुझिया-पपड़ी
खाबे खों तकरार हो गयी
तुम क्या आयीं
रंगों की बौछार हो गयी
*

कोई टिप्पणी नहीं: