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शनिवार, 27 फ़रवरी 2016

doha salila

दोहा सलिला:
नेताओं की निपुणता, देख हुआ है दंग
गिरगिट चाहे सीखना, कैसे बदले रंग?
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रंग भंग में डालकर, किया रंग में भंग
संसद में होता सखे, बिना पिये हुड़दंग
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दल-दल ने दलदल मचा, दल छाती पर दाल
जाम आदमी का किया, जीना आज मुहाल
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मत दाता बन जान ले, मत का दाता मोल
तब मतदाता बदल दे, संसद का भूगोल
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स्मृति से माया कहे, दे-दे अपना शीश
माया से स्मृति कहे, ले जा भेज कपीश
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एक दूसरे को छलें, देकर भ्रामक तर्क
नेता-अभिनेता हुए, एक न बाकी फर्क
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सरहद पर सुनवाइये, बहसें-भाषण खूब
जान बचायें भागकर, शत्रु सिपाही ऊब
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