मुक्तक:
केवल दोष दिखाना ही पर्याप्त नहीं होता
जो न बदलता मिट जाता है, अगर रहा रोता
अगर न उत्तर खोजोगे तो खुद सवाल होगे
फसल ऊगती तभी बीज जब कोई कहीं बोता
*
बैठ हाथ पर हाथ रखे गर चाहोगे बदलाव
नहीं भरेंगे, सिर्फ बढ़ेंगे जो तन-मन पर घाव
अगर बढ़ेगी क्रय क्षमता तो कहता हूँ मैं सत्य
बुरा न मानोगे चाहे जितने बढ़ जाएँ भाव
*
केवल दोष दिखाना ही पर्याप्त नहीं होता
जो न बदलता मिट जाता है, अगर रहा रोता
अगर न उत्तर खोजोगे तो खुद सवाल होगे
फसल ऊगती तभी बीज जब कोई कहीं बोता
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बैठ हाथ पर हाथ रखे गर चाहोगे बदलाव
नहीं भरेंगे, सिर्फ बढ़ेंगे जो तन-मन पर घाव
अगर बढ़ेगी क्रय क्षमता तो कहता हूँ मैं सत्य
बुरा न मानोगे चाहे जितने बढ़ जाएँ भाव
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