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बुधवार, 25 नवंबर 2015

चर्चा:

अमीर का बयान मेरा दृष्टिकोण दोषी पत्रकार

भाई तिल का ताड़ बनाने की पत्रकारों की आदत इस तरह की बेसिर- पैर की बातें फैलाती रहती है.

आमिर और उसकी बीबी क्या बात करते हैं यह आमिर को कहाँ नहीं चाहिए, कह दी तो वहीं ख़त्म हो जानी चाहिए। पत्नी की शंका का समर्थन तो आमिर ने किया नहीं। हिन्दू पत्नी को चिंता और मुसलमान पति बेफिक्र लेकिन लोगों ने उसे कठघरे में खड़ा कर ही दिया। सवाल पूछना है तो किरण राव से पूछो।

पत्नी को शंका क्यों हुई? पत्रकारों द्वारा असहिष्णुता की झोथी कहानियाँ फ़ैलाने के कारण।

न मैं पहले आमिर का समर्थक था न अब विरोधी हूँ. विडम्बना यह है कि देश का निर्माण करनेवाले, खोज करनेवाले, रक्षा करनेवाले, पढ़ानेवाले, अन्न उपजानेवाले इन पत्रकारों के लिए महत्वपूर्ण नहीं होते। इनके लिए महत्वपूर्ण होते हैं अपराध करनेवाले, खेलनेवाले, अभिनय करनेवाले, और शासन करने वाले । इनके लिए रोटी, कपडा, मकान और शिक्षा से पहले मनोरंजन है. यह न होता तो ऐसी बेसिर-पैर की बातें क्यों पैदा हों?

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