मुक्तिका -
*
मुस्कुराती रही, खिलखिलाती रहो
पैर रख भूमि पर सिर उठाती रहो
.
मेहनती तुम बनो, मुश्किलों में तनो
कैद घर में न रह आती-जाती रहो
.
मान जाओ न रूठो अधिक देर तक
रूठ जाए कोई तो मनाती रहो
.
हो सहनशील सबको पता सत्य है
जो न माने, न नाहक बताती रहो
.
कोयलों सम मधुर गीत गाओ मगर
कुछ सबक बाज को भी सिखाती रहो
.
नर्मदा सी बहो, मत मलिनता गहो
मुश्किलों के शिखर लड़ ढहाती रहो
.
तिनके बिखरे अगरचे नशेमन के हैं
तिनके जोड़ो नशेमन बनाती रहो
*
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मुस्कुराती रही, खिलखिलाती रहो
पैर रख भूमि पर सिर उठाती रहो
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मेहनती तुम बनो, मुश्किलों में तनो
कैद घर में न रह आती-जाती रहो
.
मान जाओ न रूठो अधिक देर तक
रूठ जाए कोई तो मनाती रहो
.
हो सहनशील सबको पता सत्य है
जो न माने, न नाहक बताती रहो
.
कोयलों सम मधुर गीत गाओ मगर
कुछ सबक बाज को भी सिखाती रहो
.
नर्मदा सी बहो, मत मलिनता गहो
मुश्किलों के शिखर लड़ ढहाती रहो
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तिनके बिखरे अगरचे नशेमन के हैं
तिनके जोड़ो नशेमन बनाती रहो
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