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रविवार, 15 नवंबर 2015

चन्द माहिया : क़िस्त 22

चन्द माहिया  :  क़िस्त २२


:१:
एहसास रहे ज़िन्दा
तेरे होने की
इक प्यास रहे ज़िन्दा

:२:

आना हो न गर मुमकिन
जब दिल में मेरे
फिर क्या जीना तुम बिन

:३:

आँखों में समाए वो
अब क्या मैं देखूँ
आ कर भी न आए वो

:४:

जिस दिल में न हो राधा
साँसे तो पूरी
पर जीवन है आधा

:५:

पा कर भी जब खोना
टूटे सपनों का
फिर क्या रोना-धोना !

आनन्द.पाठक
09413 395 592

2 टिप्‍पणियां:

Divya Narmada ने कहा…

बहुत खूब. माहिया रचने में आपका सानी नहीं है.

Divya Narmada ने कहा…

आनंद जी! कुछ माहिए अलंकारों को लेकर लिख सकें तो संबंधित लेखों में जोड़ सकूँगा।