नवगीत:
आभासी दुनिया का सच भी
झूठा सा लगता है
जिनसे कुछ संबंध नहीं है
उनसे जुड़ता नाता
नाता निकट रहा है जिनसे
यहाँ न दिखने पाता
भावनाओं से छला गया मन
फिर-फिर फँस हँसता है
दर्द मौत दुर्घटना को भी
लाइक मिलें अनेकों
कोई नहीं विकल्प कि दूर
गुनाहों को चुन फेंको
कामनाओं से ठगा गया मन
मुक्ति न क्यों मँगता है?
ब्रम्हा जो निज सृजन-विश्व का
वह भी बना भिखारी
टैग करे, फिर लाइक माँगे
दिल पर चलती आरी
चाह तृप्ति को जो अतृप्त वह
पंख मध्य धँसता है
***
५-११-२०१४
संजीवनी अस्पताल रायपुर
आभासी दुनिया का सच भी
झूठा सा लगता है
जिनसे कुछ संबंध नहीं है
उनसे जुड़ता नाता
नाता निकट रहा है जिनसे
यहाँ न दिखने पाता
भावनाओं से छला गया मन
फिर-फिर फँस हँसता है
दर्द मौत दुर्घटना को भी
लाइक मिलें अनेकों
कोई नहीं विकल्प कि दूर
गुनाहों को चुन फेंको
कामनाओं से ठगा गया मन
मुक्ति न क्यों मँगता है?
ब्रम्हा जो निज सृजन-विश्व का
वह भी बना भिखारी
टैग करे, फिर लाइक माँगे
दिल पर चलती आरी
चाह तृप्ति को जो अतृप्त वह
पंख मध्य धँसता है
***
५-११-२०१४
संजीवनी अस्पताल रायपुर
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