चित्र पर रचना: मुक्तिका
देख जंगल
कहाँ मंगल?
हर तरफ है
सिर्फ दंगल
याद आते
बहुत हंगल
स्नेह पर हो
बाँध नंगल
भू मिटाकर
चलो मंगल
***
देख जंगल
कहाँ मंगल?
हर तरफ है
सिर्फ दंगल
याद आते
बहुत हंगल
स्नेह पर हो
बाँध नंगल
भू मिटाकर
चलो मंगल
***
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