नवगीत:
काबलियत को भूल
चुना बेटे को मैंने
बाम्हन का बेटा बाम्हन है
बनिया का बेटा है बनिया
संत सेठ नेता भी चुनता
अपना बेटा माने दुनिया
देखा सपना झूम
उठा बेटे को मैंने
मरकर पगड़ी बाँधी सुत-सिर
तुमने, पर मैंने जीते जी
बिना बात ही बात उछाली
तुमने खूब तवज्जो क्यों दी?
चर्चित होकर लिया
चूम बेटे को मैंने
खुद को बदलो तब यह बोलो
बेटा दावेदार नहीं है
किसे बुलाऊँ, किसको छोड़ूँ
क्या मेरा अधिकार नहीं है?
गर्वित होकर लिया बाँध
फेंटे को मैंने
***
काबलियत को भूल
चुना बेटे को मैंने
बाम्हन का बेटा बाम्हन है
बनिया का बेटा है बनिया
संत सेठ नेता भी चुनता
अपना बेटा माने दुनिया
देखा सपना झूम
उठा बेटे को मैंने
मरकर पगड़ी बाँधी सुत-सिर
तुमने, पर मैंने जीते जी
बिना बात ही बात उछाली
तुमने खूब तवज्जो क्यों दी?
चर्चित होकर लिया
चूम बेटे को मैंने
खुद को बदलो तब यह बोलो
बेटा दावेदार नहीं है
किसे बुलाऊँ, किसको छोड़ूँ
क्या मेरा अधिकार नहीं है?
गर्वित होकर लिया बाँध
फेंटे को मैंने
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