अभिनंदन
सलिल-धार लहरों में बिम्बित 'हर नर्मदे' ध्वनित राकेश
शीश झुकाते शब्द्ब्रम्ह आराधक सादर कह गीतेश
जहाँ रहें घन श्याम वहाँ रसवर्षण होता सदा अनूप
कमल कुसुम सज शब्द-शीश गुंजित करता है प्रणव अरूप
गौतम-राम अहिंसा-हिंसा भव में भरते आप महेश
मानोशी शार्दुला नीरजा किरण दीप्ति चारुत्व अशेष
ममता समता श्री प्रकाश पा मुदित सुरेन्द्र हुए अमिताभ
प्रतिभा को कर नमन हुई है कविता कविता अब अजिताभ
सीता राम सदा करते संतोष मंजु महिमा अद्भुत
व्योम पूर्णिमा शशि लेखे अनुराग सहित होकर विस्मित
ललित खलिश हृद पीर माधुरी राहुल मन परितृप्त करे
कान्त-कामिनी काव्य भामिनि भव-बाधा को सुप्त करे
5 टिप्पणियां:
Mahesh Dewedy mcdewedy@gmail.com
सलिल जी,
अति सुंदर. कितने यत्न से लिखी है. कितनी समग्रता एवँ लालित्य लिये हुए है आपकी रचना. बधाई..
महेश चंद्र द्विवेदी
Kusum Vir kusumvir@gmail.com
अति सुन्दर, आचार्य जी l
सादर,
कुसुम
Ram Gautam gautamrb03@yahoo.com
आ. आचार्य 'सलिल' जी,
प्रणाम:
आपने तीस से अधिक नामों को सम्मानित कर
सुन्दर अभिव्यक्ति से चयन किया, आपकी कलम
को सादर नमन और बधाई !!!
सादर- आरजी
अति सुन्दर भावों से भरे गीत के लिये आ० आचार्य जी
को बधाई.
सन्तोष कुमार सिंह
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From:"sanjiv verma salil salil.sanjiv@gmail.com [ekavita]"
Date:बृह., नवम्बर २७, २०१४ at ८:२८ अपराह्न
Subject:[ekavita] Re:
गीत:
शब्दों से करने बैठा था माँ सरस्वती की उपासना
आकर हुए सम्मिलित उसमें जो उनकी ना करूँ वंदना
तो क्या यह धृष्टता न होगी?
संतति भुला अगर आराधूँ तो क्या मैया उचित कहेंगी?
सब पर सम ममता मैया की कैसे सबसे रहित रहेंगी?
मेरी ही सामर्थ्य अल्प है सबको नमन नहीं कर पाया
जो छूटे वे क्षमा करेंगे तभी मिलेगा माँ का साया-
अन्यों की श्रेष्ठता न मानूँ? खुद से खुद ही करूँ वंचना
तो क्या यह धृष्टता न होगी?
नेता अफसर सेठ आदि को नमन करे सारा जग बरबस
अभिनेता जो सफल प्रशंसक उनकी होती जनता परबस
सृजनकार का वंदन कैसे चाटुकारिता है बिन स्वारथ?
परनिंदा क्यों साध्य हमें हो? कहें बुरा क्यों अगर गायें जस
कंकर में शंकर देखे बिन करना चाहूँ अगर रंजना
तो क्या यह धृष्टता न होगी?
***
santosh kumar ksantosh_45@yahoo.co.in [ekavita]
अति सुन्दर भावों से भरे गीत के लिये आ० आचार्य जी
को बधाई.
सन्तोष कुमार सिंह
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