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बुधवार, 5 नवंबर 2014

dwipadiyan

द्विपदियां:

पहाड़ों को पुकारो तो सदा ही लौट आती है
न अपना ही बनाती है, न बेगाना बताती है
*
दिलवर के दिल का मिला, जब से दिल को राज
खुद से बेगाना हुआ, खो खुद का अंदाज़
*
शे'र कहे जब शेरनी, शेर सुने रह मौन
दे दहाड़ कर दाद तो, कहो बचाये कौन?
*
जिसने खुद को खो दिया, उसको मिला जहान
जिसने सब कुछ पा लिया, उसका पथ वीरान
*

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