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रविवार, 11 नवंबर 2012

लैब में शिशु --आरती प्रसाद

विशेष लेख:

लैब में शिशु

-आरती प्रसाद
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क्या यह संभव है कि कोई लड़की मां बने और कुंवारी भी रहे! क्या?
नहीं?
गलत, यह संभव है।
अब बिना किसी पुरुष के संसर्ग में आये ईसा मसीह को जन्म देने वाली मदर मेरी से संबंधित गुत्थी भी सुलझ सकती है। 
बाल ब्रम्हचारी हनुमान जी के बिना महिला के संपर्क में आये पुत्र होने की कथा सत्य में बदल सकती है।
यह हम नहीं कहते... इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन की छात्र रही भारतीय मूल की आरती प्रसाद कह रही हैं। सहसा कोई इस पर आपको यकीन न हो, उनका दावा है कि यह संभव है।
वर्ष 1970 के दशक में चलिए। याद करिए लेस्ली ब्राउन को. लेस्ली ने आइवीएफ तकनीक से पहले ‘टेस्ट टय़ूब’ बेबी को जन्म दिया था, तो लोग चकित थे। इसे चिकित्सा जगत में क्रांति माना गया. सबने कहा कि अब कोई महिला बांझ नहीं कहलायेगी।

दरअसल, इस तकनीक में महिला के अंडाणु में टेस्ट टय़ूब के जरिये पुरुष के स्वस्थ शुक्राणु डाल कर सामान्य शिशु का जन्म कराया गया था। लेकिन नयी तकनीक में ऐसा नहीं होगा। पुरुष बिना महिला की मदद के पिता बन सकेगा। महिला बिना पुरुष के सहयोग के मां बनेगी. जिस दिन ऐसा हुआ, समझिए सेक्स का खात्मा हो जायेगा।

लंदन के इंपीरियल कॉलेज की छात्र और भारतीय मूल की आरती प्रसाद प्रजनन पर खुल कर बात करती हैं, सेक्स पर नहीं। तकनीक की छात्र आरती ने एक पुस्तक लिखी है। ‘लाइक ए वजिर्न : हाउ साइंस रीडिजाइनिंग द रुल्स ऑफ सेक्स’. इसमें उन्होंने ‘अल्टीमेट सोलो पैरेंट’ की अवधारणा पर जोर दिया है. आरती ने प्रजनन के ऐसे समीकरण पेश किये हैं, जो संभोग और परिवार की परिभाषा ही बदल कर रख देंगे।

आरती कहती हैं कि महिला किसी उम्र में खुद के स्टेम सेल और कृत्रिम वाइ क्रोमोजोम से नया अंडा और शुक्राणु तैयार कर सकेगी, जिससे प्रजनन होगा। महिला या पुरुष के गर्भ में नहीं पलेगा शिशु, कृत्रिम गर्भ में तैयार होगा। इस तरह एक महिला या पुरुष बिना किसी पार्टनर के बच्चे की मां या पिता बन सकेंगे। समलैंगिक पुरुष दोनों के डीएनए को मिला कर बच्च तैयार करवा सकेंगे। आरती कहती हैं कि इसमें कोई शक नहीं कि भविष्य में ऐसा संभव होगा। हां, अभी यह नहीं कहा जा सकता कि कब?
 
एक दिन आयेगा..

विशेष प्रकार के प्लास्टिक कंटेनर को ‘गर्भ’ के रूप में विकसित किया जायेगा, जिसमें वैसे ही बैक्टीरिया और फ्लुइड होंगे, जो गर्भ में होते हैं। ऑस्ट्रेलिया में इसकी तैयारी चल रही है। एक दिन आयेगा, जब पुरुष बिना महिला साथी की मदद के पिता बन सकेंगे। आरती कहती हैं कि वैज्ञानिक कृत्रिम शुक्राणु तैयार कर चुके हैं, ‘अंडा’ भी जल्द विकसित कर लिया जायेगा।

चूहे पर प्रयोग सफल

आरती कहती हैं कि पशुओं पर इस तकनीक को आजमाया जा चुका है। मादा की अस्थि मज्जा से अंडा का निर्माण संभव हुआ है। वर्ष 2004 में बिना पिता के एक चूहे ‘कगूया’ का जन्म हो चुका है। नर की अस्थि मज्जा से शुक्राणु और अंडाणु तैयार हो सकते हैं, क्योंकि उनमें एक्स और वाइ दोनों क्रोमोजोम होते हैं। मादा में सिर्फ दो एक्स क्रोमोजोम पाये जाते हैं।

सार्क पर भी सफल प्रयोग

वर्ष 2008 में ग्रे नर्स सार्क की प्रजाति को बचाने के लिए कृत्रिम गर्भ तैयार किया गया। हर मादा सार्क में दो गर्भ थे, जिनमें दर्जनों अंडे तैयार किये गये। इनमें से महज दो अंडे बच पाये।
 
जापान और अमेरिका में रिसर्च

जापान और अमेरिका के वैज्ञानिक इंसानों पर प्रयोग कर रहे हैं। वैज्ञानिक हुंग चिंग लियु कहती हैं कि प्रयोगशाला में शिशु तैयार करना उनका अंतिम उद्देश्य है।
 
असर

महिलाओं की लाइफस्टाइल पूरी तरह बदल जायेगी। माता-पिता बनने के समय की चिंता से मुक्ति मिल जायेगी। मातृ सत्तात्मक प्रणाली फिर प्रारंभ हो सकेगी। ऐसी स्थिति में क्या करेंगी खाप पंचायतें? कोई  सन्तान नाजायज नहीं होगी। हो सकता है कि माता पिता अपनी पसंद के गुणों वाले बच्चे प्राप्त कर सकें।
जनसँख्या वृद्धि आज से बहुत ज्यादा हो सकती है।  धर्म परिवर्तन जैसे विवाद ख़त्म ही हो जायेंगे क्योंकि हर धर्म के लोग मनमानी संख्या में अनुयायियों से बच्चे पैदा करवा सकते हैं।

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