कुल पेज दृश्य

बुधवार, 14 नवंबर 2012

शब्द-शब्द दीवाली

शब्द-शब्द दीवाली
*


प्राण शर्मा
प्रिय सलिल जी ,
                 दीवाली की अनंत खुशियों के भागीदार बनिए . ढेरों शुभ कामनाएँ .

'चुपके से...'
~ 'आतिश'
*
टिमटिमाते दीप फिर से जल गए...
दुःख के मेघ आते-आते  टल गए!
फिर गुलाबी सर्दी और मौसम चुपके से बदल गए!!

ओढ़ किरण धरा बन बैठी दुल्हन...
रोशनी छिटकी, धमक उट्ठा गगन!
रूप निखरा है दीवार ओ' दर का भी...
नाचता, फिरता उजाला हर गली!
फुलझड़ी पे फूल जैसे फल गए!

फिर गुलाबी सर्दी 
ला
ई दिवाली...
और मौसम चुपके से बदल गए!!
सज गए हैं झालरों से हाट-हाट..
रौनक ओ' मिठायों के ठाट-बाट!
चाँद-तारों सा है ये कैसा  जहान...
स्वर्ग सा, ये ही तो है हिन्दोस्तान!
छोर-छोर जादू जैसे चल गए!

फिर गुलाबी सर्दी 
ला
ई दिवाली...

और मौसम चुपके से बदल गए!!
*
Lalit Walia <lkahluwalia@yahoo.com>



विजय अनंत 
bcc:anant-sevashram

Wish You And Your Family A Very Happ& 
 Prosperous Diwali  
 VIJAY ANANT & FAMILY,  788, SECTOR 16, PANCHKULA(HARYANA) 09815900159

Madan Gopal Garga


















 
 




                                                                                                                                                                                                                                         
  दीपकोत्सव की अनंत अशेष हार्दिक मंगल -कामनाएं 

दिशा  विहीन लक्ष्यहीन आज की राजनीति           
भ्रष्टाचार स्वार्थलिप्त सत्ता के दलदल की प्रतीक 
कोई सशक्त नेतृत्व नहीं उपलब्ध देश  में
दीपमालिका पर जो जलें कहीं आशाके दीप

धनवानों के भवन दीप जलते बुझते बहुरंग 
नेताओं की भ्रष्ट कमाई स्विस-बैंकों में  बंद
मंहगाई में गरीब का खाली पेट हाथ  है तंग 
कुटिया में अंधियारा चाँदी काट रहे हैं दबंग

विस्मित गणपति लक्ष्मीमाता को ताक रहे है
दीपक तले  अँधेरे को वह अपलक झाँक रहे हैं
दरिद्रनारायण तक भी रोशनी किरण कैसे पहुंचे
लक्ष्मी कैद-मुक्त करने का मन्त्र मौन हो जाप रहे
हैं

 *
पूर्णिमा-अमा                 

एक पाख ही तो बीता
शरदचंद्र की अभिनीता
विधु-अंक शायिनी मधुमिता
आँचल में भर शुभ्र ज्योत्सना
सुधा-कलश ले गर्वित-मना
कवि-कविता की सृजन-कल्पना
                 इतराई थी शरद-पूर्णिमा !

आज अमावास की बारी
दीप्त-वर्तिका की पारी
है असंख्य दीप उजियारी           ( * संख्या वाला शंख जैस
जगमग देहरी द्वार अटारी                   लाख-दसलाख आदि )
विभावरी की बलिहारी
दीपक थाल सजा कर
धरा गगन दोनों पर
घर आँगन में सज धज नाची
आज अमावस हर्ष-मना 
                      देखो  कैसी खिली अमा !

शायद यही नियति का दर्शन
यहाँ न स्थायी वैभव-क्षण
और न अवसादों का तम
इस मायावी लोक में सदा
सुख भी दुःख भी कोरा भ्रम
        मोह द्रोह रिश्ते नाते सब
        अस्थिर कोरी विडम्बना
        अंतर्मन की भाव  भंगिमा
                 कहो अमा  या कहो पूर्णिमा  !
 




गुड्डोदादी  CHICAGO



दीपावली के शुभ शुद्ध मंगलिए त्यौहार की बहुत बहुत बढ़ाई व अनगिनित शुभ कामनाएँ
सभी के जीवन में परिवार में नित नित नयी नयी रो खुशियाँ ही खुशियाँ आयें
आभार के साथ
 11novct5512-1_1352538623_l.jpg 68447_509683852389871_105548210_n.jpg
_______________________________ममता शर्मा
दीपावली आई है ,

दिए खिलौने लाई है।

हर घर दिए जलाएंगे, 

पटाखे नहीं फुटायेंगे।

राम की विजय मनाएंगे,  

तोरण द्वार सजायेंगे। 

नई  पोशाक बनायेंगे,

गीत ख़ुशी के गायेंगे।

घर को खूब सजायेंगे,

खूब त्यौहार मनाएंगे। 

*
'' देखो दीवाली आई है ''
लिए पंक्ति जगमग दीपों की, 
मन को करने हर्षित भरपूर। 
संग लिए लड़ियाँ फूलों की, 
सब  को देने सुख हर सूँ।
दीवाली  सुख लाई है 
देखो दीवाली आई है।

तड़क -भड़क बिजली की लड़ियाँ, 
भरें हृदय में  खुशियाँ यूं।
जैसे नव श्रंगार में दुल्हन, 
करती हर कोने जादू।
दीवाली मनभाई है
देखो दीवाली आई है।

 है दीवाली मनवा नाचे ,
भर मिठास उदर में तू।
जला दिए व फोड़ पटाखे, 
ख़ूब ख़ुशी बांटे मन यूं।
दीवाली मिठाई है 
देखो दीवाली आई है।

ज्यों फुलझड़ियाँ करती जगमग,
जला - जला अपने तन को।
पाठ सीख कुछ राह पकड़ के
मनवा रोशन कर जग को। 
दीवाली सुध लाई है
 देखो दीवाली आई है। 

मना  दीवाली मनवा मोरे 
कहे शर्माता है तू।
दीप जला और कर ले जगमग 
दीप का मतलब जान ले तू।  
दीवाली हरजाई है ,
देखो दीवाली आई है।


शशि पाधा

घर आंगन गलियां चौबारे

दीपों की इक माल सजी है

मंगल कलश सुशोभित द्वारे

वीणा की मधु तार बजी है

देहरी पर सतरंग रंगोली

ठाकुरद्वारे पुष्प लड़ी है

कह दें आज अमावस से हम

देखो धरती सजी धजी है

और कहीं तुम करो बसेरा

दीवाली की आज घड़ी है

दीपावली की अशेष शुभ कामनाएँ |




सन्तोष भाऊवाला
              
जगमगाए नन्हे नन्हे दीये 
देख बल्ब ने किया उपहास
पुरे साल किया मैंने उजाला
अब तू करेगा जग में उजास ?
मुस्कुराये छोटे छोटे दीये
है तुममे सूर्य सी रौशनी अपार
पर मंद रौशनी में भी है बात ख़ास
ज्यों चंदा की चांदनी में खिले रास!
ए बल्ब तू स्वयं ही जलता
औरो को रौशन करने में हो अक्षम
एक दिया अनेकों को रौशन करता
टिमटिमाती लौ में भी होती आस!
ईश् चरणों तले जलता है दीया
उसकी लौ से लेते सभी आरती
जिससे जीवन में छाये उल्लास
ज्यों महकती गीता ज्ञान की सुवास!


https://mail-attachment.googleusercontent.com/attachment/u/0/?ui=2&ik=dad2fa7c6e&view=att&th=13af3d5b7e64f6c3&attid=0.1&disp=inline&safe=1&zw&saduie=AG9B_P8iolpeP3f4iPAHowfQMMHF&sadet=1352784120212&sads=7kx6KesBEm3PqEYyl5unoThdryU




अवनीश सिंह चौहान
HAPPY DIWALI TO YOU!

Thanks and regards-  Abnish Singh Chauhan

पूर्वाभास (www.poorvabhas.blogspot.com/), गीत-पहल (geetpahal.webs.com/)
वृन्दावन धाम (www.vrindavandham.co.in), http://www.facebook.com/abnishsinghchauhan
www.ijher.com
- Asstt. Prof. in English, Teerthanker Mahaveer University Moradabad (U.P.)-244001


Rajendra Swarnkar
12:43 pm (22 घंटे पहले)

प्राण, अरुण, जगदीश, लक्ष्मीशंकर, सुभाष, श्री, daanish.bhaarti, श्री, श्री, श्री, श्री, श्री, श्री, श्री, श्री, श्री, श्री, श्री, पंकज, तिलकराज, नीरज, नीरज, श्री, श्री, श्री
धनतेरस रूपचतुर्दशी दीवाली गोवर्धनपूजन भाईदूज

~ की ~शुभकामनाएं ! बधाइयां ! मंगलकामनाएं !
सरस्वती आशीष दें , गणपति दें वरदान !
लक्ष्मी बरसाएं कृपा , मिले स्नेह सम्मान !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार



navin prakash

आपको भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

hinditechblog@gmail.com



मुकेश श्रीवास्तव 
दीपावली  मंगलमय  हो ! सब स्वस्थ, प्रसन्न, और प्रफुल्ल  रहे !




AABHAAR
 AADARANIY

दीपावली पर शुभकामनाएं...



प्रणव भारती 
धन ,समृद्धि चैन,सुखों  की सुंदर  बन्दनवार,
दीपों की जगमग ज्योति ले, आया है त्यौहार।


दीपावली के शुभ अवसर पर आप सभी मित्रों को हार्दिक शुभकामनाएँ ।
           
             धुंध के,धूल के जाले  तो हटाकर देखें,
             स्नेह के दीप हरेक मन में जलाकर देखें ।
             अँधेरे दूर हों और सबके मन  बनें रौशन,
              प्रीत के ,  गीत के घुघरू तो बजाकर देखें।।

------आमीन !सादर ,सस्नेह 
                             प्रणव भारती


राकेश कौशिक
दीपोत्सव की सपरिवार हार्दिक बधाई
hraday.pushp@gmail.com
National Physical Laboratory

सतीश मलिक 


Sanjiv ji,
namaskar,

I loved and enjoyed your poem.  Really beautifully written.  This is the first time I have had the pleasure of receiving and reading your poetry.
I do not write but enjoy reading and more so listening to them recited by the authors.  Hopefully, one day in near future I will get to see you in person reading your work.
How did you get my address?  Just curious.
Best wishes.
Satish


-समीर लाल ’समीर’
आप और आपके परिवार को दीपावली की अनेक मंगलकामनाएँ....



लावण्या शाह 
 
धनतेरस रूपचतुर्दशी दीवालीगोवर्धनपूजन भाईदूज
                          *~*~की~*~*
                  शुभकामनाएं ! बधाइयां !



11:32 pm (11 घंटे पहले)

BharatS107, BharatS108


राम बाबू गौतम, न्यू जर्सी
 
आप सभी को परिवार सहित, इस पावन-पर्व
             दीपोत्स!!!!!
 की हार्दिक मंगल- शुभकामनाओं के साथ-   
                   
                         दी. 
मन- दीप घर में जलाना नहीं चाहते हैं,
उजाला घर में वो करना नहीं चाहते हैं ।

अन्धेरा सिमटेगा नहीं उनकी गली का,
दीप लेकर वो निकलना नहीं चाहते हैं ।

पतंगे जलते हैं निष्भाव- जीवन देकर,
कर्म परोपकारी करना नहीं चाहते हैं ।

उगाई है स्वार्थ की धरा- नागफनी सदा,
वृक्ष मींठे फलों के लगाना नहीं चाहते हैं । 

राम- लक्ष्मण अब अयोध्या आते नहीं हैं,
इस वहाने दीपक जलाना नहीं चाहते हैं ।    

द्वार-दीप से ही ज्योति मिली है 'गौतम',
नेक काम वो ऐसा करना नहीं चाहते हैं ।

घर- अपनों को ही हमने गैर कह दिया, 
खून में उनका खून मिलाना नहीं चाहते हैं ।
          


राकेश खंडेलवाल  
भोर की रश्मियों की प्रखरता लिये दीप दीपावली के जलें इस बरस

रक्त-कमलासनी के करों से झरे,आप आशीष का पायें पारस परस
ऋद्धि सिद्धि की अनुकूल हों दृष्टियाँ साथ झंकारती एक वीणा रहे
भावनाओं में अपनत्व उगता रहे, क्यारियाँ ज़िन्दगी की रहें सब सरस

*
धन तो तेरह से होता गुणित नित रहे
कीति चौदह गुनी हो अहर्निश रहे
पन्द्रहवीं रात की ज्योति किरणें सदा
आपकी देहरी को प्रकाशित करे
भोग छप्पन बनें अन्नकुट की महक
खिलखिलाये रसोई में आठों प्रहर
दूज अक्षत सजी रोलियों के लिये
भाल पर जयतिलक नित लगाती रहे.
*
जले हैं फिर से इस बरस हजार कामना लिए
नवीन वर्तिकाओं से सजे हुए नए दिए
नए ही स्वप्न आँजती है आँख फिर से इस बरस
जो अंकुरित हो आस वो बरस के अंत तक जिए
 
रची पुरबि के द्वार पर नवीन आज कल्पना
न अब रहे ह्रदय कहीं पे   कोई भी हो अनमना
उगे जो भोर निश्चयों के साथ यात्राओं के
डगर के साथ अंश हों नवीन वार्ताओं के
न व्यस्तता की चादरों से दूर एक पल रहे
औ' आज ही भविष्य हो गया है आन कल कहे
न नीड़  के निमंत्रणों से एक पल कोई छले
औ लक्ष्य पग के साथ अपने पग मिला मिला चले
हैं मंत्रपूर सप्तानीर आंजुरी में भर लिए
जले हैं फिर से इस बरस हजार कामना लिए


जो कामनाएँ हैं मेरी, वही रहें हों आपकी
ये डोरियाँ जुड़ी रहें सदा हमारे साथ की
न मैं में तुम में भेद हो,जो तुम कहो वो मैं कहूं
तुम्हारी भावना प्रत्येक साथ साथ मैं सहूँ
यों  तुम से मैं जुडू  कि  भेद बीच आप का हटे
बढ़ा है भ्रम में डूब कर  समस्त फासला कटे
चले थे साथ पंथ जिस पे एक दिन,पुन:: चलें
जो खंड हिम के बीच आ गए सभी के सब गलें

न फिर से कोई रह सके अधर पे मौन को लिए
जले हैं दीप पर्व पर नए ही इस बरस दिए

सुनो जो कह रहीं हैं आज वर्तिकाएँ थरथरा
 उठो तो अन्धकार का परस रहे डरा डरा
चलो तो दूरियाँ क्षितिज की इक कदम में बंद हों
 बढ़ो तो हाथ थामने को मंजिलों में द्वन्द हों
हैं प्राप्ति के पलों की उंगलियाँ तुम्हारे हाथ में
अमावसी निशा भले, जले हैं दीप साथ में
लगा रहीं हैं अल्पनायें स्वस्ति कल के भाल पर
लिखा है हल उठे हुए नजर के हर सवाल पर

सितारे आसमान पर जलें तुम्हारे ही लिए
खड़ा  हूँ  दीप पर्व पर यही मैं कामना लिए।



महिपाल सिंह तोमर 
दीपावली चिंतन 
कुछ बात है कि हस्ती मिटती  नहीं हमारी ,
सदियों रहा है दुश्मन दौरे जहां हमारा ! 

  भारत के दक्षिण भाग की विशेषताएं -

1-आज भी भारतीय सभ्यता सुरक्षित है ।
2-दक्षिण के मंदिर क्यों अक्षुण रहे?जबकि उत्तर या पश्चिम के मंदिरों में बहुत विध्वंस हुआ ।
3-आंध्र, तमिलनाडु, केरल के रेलवे स्टेशन क्यों साफ, सुथरे और अधिक व्यवस्थित हैं?
4-रेलगाड़ी 2500 कि.मी. की यात्रा सही समय में तय करती है (मिनिट टू मिनिट)पर उलटे प्रदेश में 120 कि. मी. में 45 मिनिट की देरी कर देती है और एक अधिकारी कहता है कि गाड़ी लेट नहीं है केवल आध-एक घंटा होगी (देखिये माइण्ड सेट, यह देर कोई देर नहीं )
 अभी इतना ही, बाहर रौशनी कीजिये, थोड़ी अन्दर भी,
.

किरण सिन्हा
शुभ दीपावली
महा-आशीष शुभ लक्ष्मी का

हो
 उजियारा जगजीवन का.

ऐसा
 दीप जला रे मन तू,

मिटे तिमिर गहन हृदय का.
शुभ कामनाओं सहित -
कपिल एवं किरण सिन्हा
ऐटलान्टा
, जार्जिया
 
.

रेखा राजवंशी 
बम, पटाखे, खील, बताशे ले आई दीवाली 
सुख, संतोष, सौभाग्य, समृद्धि दे सबको दीवाली
We wish you and your family a HAPPY DIWALI Alok & Rekha Rajvanshi



ओमप्रकाश तिवारी 
  दीवाली पर एक नवगीत 
---------------------------

दीप कहीं तुम बुझ न जाना !

छेददार माना की द्याली
होती जाए प्रतिपल खाली
थी तो बहुत कपास खेत में
किंतु चुरा ले गए मवाली ;

रात अमावस की घिर आई

तुम तो अपना धर्म निभाना !

हवा चल रही है तूफानी
राह नहीं जानी-पहचानी
साथ-साथ चलने की कसमें
निकलीं सब की सब बेमानी ;

अब तो नियमित क्रिया बन गई
सूरज का असमय ढल जाना !

अब न दीप जलाने वाले
खाने लगे बचाने वाले
धरे हाथ पर हाथ मूक हैं
औरों को समझाने वाले ;

ऐसी विकट घड़ी में दीपक
बाती एक उधार जलाना !
--
Om Prakash Tiwari
Special Correspondent, Dainik Jagran
41, Mittal Chambers, Nariman Point,
Mumbai- 400021
omtiwari24@gmail.com
Tel : 022 30234900 /30234913/39413000
Fax : 022 30234901M : 098696 49598
Visit my blogs :  http://gazalgoomprakash.blogspot.com/
http://janpath-kundali.blogspot.com/
--------------------------------------------------
Resi.- 07, Gypsy , Main Street ,
Hiranandani Gardens, Powai , Mumbai-76
Tel. : 022 25706646


चंपालाल चोरडिया 'अश्क़'
हर रोज़ दशहरा होता है,हर रात दीवाली होती है 
हम प्यार मोहब्बत वालो की,हर बात निराली होती है 
मेरी साथी की आँखों मे है छिपा हुआ एक मयखना 
नज़रों से मय हम पीते हैं,आँखों की प्याली होती है. 
- रितेश कुमार  
HAPPY DIWALI  

May the Auspicious Festival of Lights Brighten every corner of your world with HAPPINESS

WISHING YOU AND YOUR FAMILY A VERY HAPPY AND PROSPEROUS DIWALI !!
 riteshcaselaw@gmail.com



रोहित सेठ
तमसो माँ ज्योतिर्गमय 
भारतीय संस्कृति की उद्घोषणा तम  से प्रकाश की और बढ़ें  ,के साथ हुई
आओ मिल कर प्रकाश पर्व मनाएं 
इस शुभ अवसर पर
आप को सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें
*मन दीप सजाया है 
दीवाली आई है 
खुशियों का उजाला है।
दीपों का उत्सव है 
तुम्हें खुशियाँ  खूब मिलें 
मेरा ऐसा मन है।
मन दीपक हो जाये 
अंधियारे दूर हो जाये  
उजियारा हो जाये।
मन दीपक हो जाये 
खुशियों से भरे झोली घर,आँगन  
सब खुशियों से भर जाएँ।
Rohit, Alka & Sudarshini


डॉ अरविन्द मिश्र 
Wish you too a very happy Diwali!


विजय कुमार सप्पति 
आप सभी मित्रो को दिवाली की शुभकामनाये . 
ईश्वर , आपको और आपके परिवार को सुख और शान्ति देवे। 
यही मंगलकामना है . 
आपका 
विजयकुमार 



 
मान्य सभी 

पर हित का संकल्प ह्रदय धर 
पुरसारथ का दीप जलाओ 
वैमनस्य रंजिस तज कर 
नफरत की दीवार ढहाओ

जहाँ दिखाई पड़े अँधेरा 
पहला दीप वहां रख आओ 
हो उजास बाहर भीतर  
दीप रश्मि अन्दर पहुँचाओ 

आप सभी को दीपावली की अनेकानेक शुभ  कामनायें 
Web:http://bikhreswar.blogspot.com/



विनोद पाराशर
लो आ गयी दिवाली
*
चेहरे पर मुस्कराहट चिपकी,मन अंदर से खाली-खाली
चारों ओर घुप्प-अंधेरा ,वो कहते आ गयी दिवाली  I

कहाँ गये वो खील-बतासे,कहाँ गये वो खेल-तमाशे?
कमर-तोड़ मँहगाई ने, कर दी सबकी हालत माली  I

कहने को हम साथ-साथ हैं, हो जाती हर रात बात है
फिर भी क्यों लगता है ? सब कुछ है जाली-जाली I

इन्टरनेट के इस दौर में, तू भी एक ई-मेल भेज दे
उसके पास भी समय कहाँ है ,चल बस हो गयी दिवाली I
                      


साधना वैद 
बहुत-बहुत धन्यवाद एवँ आभार सलिल जी ! दीपोत्सव की आपको भी सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें !

 मधु गुप्ता आ. संजीव जी
जानें कितना शेष रह गया इस दिये में तेल ,
तन माटी का,
 मन पानी सा ,
जानें किस दिन , गल जाएगा 
तेल के रहते बुझ जाएगा 
निराश मन की ज्योत जगाने आज दीपावली है आई 
दीपों की अवली है करती 
स्मित हास -----रेलपेल 
आपके दोहे बड़े मन भाए    
शुभ कामनायों  सहित 
मधु
 - madhuvmsd@gmail.com 


महेश द्विवेदी 

दीपमालिका पर्व पर  आप की बधाइयों हेतु आभारी हूँ .
मेरी एवं नीरजा की अशेष शुभकामनायें स्वीकार करें।


महेश चन्द्र द्विवेदी
 - mcdewedy@gmail.com

गिरीश पंकज 
shubh deewalee.

राहुल उपाध्याय 
 
दीवाली की रात
हर घर आंगन 

दिया जले

उसने जो
घर आंगन दिया 
वो न जले

दिया जले
दिल न जले
यूंहीं ज़िन्दगानी चले

दीवाली की रात
सब से मिलो
चाहे बसे हो
दूर कई मीलों

शब्दों से उन्हे
आज सब दो
न जाने फिर
कब दो

दुआ दी
दुआ ली
यहीं है दीवाली
 upadhyaya@yahoo.com



डॉ. महेश गुप्ता 
माटी दीप जलाया मन का भी तो दीप जलाओ तुम
तमसो मा ज्योतिर्गमय की मन में जोत जगाओ तुम

हैं पकवान मिठाई हासिल तुमको इस दीवाली पर
जो भूखे हैं दो रोटी उनको भी आज खिलाओ तुम

आतिशबाजी और पटाकों में ही मत उलझे रहना
अपने आराध्य भगवन को मन से आज रिझाओ तुम

मन में धारण कर लो केवल सात्विक धन घर में आए
लक्ष्मी देवी की पूजा कर पान और फूल चढ़ाओ तुम

कौन बड़ा है कौन है छोटा,  अपना और पराया कौन
ख़लिश सभी में परमात्मा है सारे भेद मिटाओ तुम.

-- महेश चन्द्र गुप्त ’ख़लिश’
(Ex)Prof. M C Gupta
MD (Medicine), MPH, LL.M.,
Advocate & Medico-legal Consultant
www.writing.com/authors/mcgupta44
prakash govind <prakashgovind1@gmail.com>
 
Inline images 1

पर्व है पुरुषार्थ का, 
दीप के दिव्यार्थ का, 
देहरी पर दीप एक जलता रहे, 
अंधकार से युद्ध यह चलता रहे, 

हारेगी हर बार अंधियारे की घोर-कालिमा !!
***
ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬●ஜ
(¯*•๑۩۞۩:♥:||दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें||♥:۩۞۩๑•*¯)
ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬●ஜ

*** प्रकाश गोविन्द
Love & Take care ..........

Prakash Govind - Lucknow


May This Diwali be as bright as ever.
May this Diwali bring joy, health and wealth to you.
May the festival of lights brighten up you and your near and dear ones lives.
May this Diwali bring in u the most brightest and choicest happiness and love you have ever Wished for.
May this Diwali bring you the utmost in peace and prosperity.
May lights triumph over darkness.
May peace transcend the earth.
May the spirit of light illuminate the world.
May the light that we celebrate at Diwali show us the way and lead us together on the path of peace and social harmony
“WISH U A VERY HAPPY DIWALI”
क्षेत्रपाल शर्मा
दीपपर्व की शुभ कामनाएं

सीमा अग्रवाल 
ज्योतित दोहों में सजा,जगमग स्नेह अशेष
प्राप्त हुईं शुभकामना ,लिए ज्ञान उन्मेष 
लिए ज्ञान उन्मेष,उपकृत हुयी विनय से
अभिनन्दन शुभ पर्व आपको भी हृदय से 
घर घर पूजन हवन वायु मण्डल है सुरभित 
कर तम को निर्मूल चहुर्दिशी दीपक ज्योतित
......अभिनन्दन आदरणीय सलिल जी






  --आर० सी० शर्मा “आरसी”
सांझ की  बेला हुई थी और सूरज ढल गया,
एक नन्हे से दिए के  हौसले को खल गया|
अपनी जीवट से वो पूरी रात जलता  तो रहा,
घोर अंधियारों के मुंह पर रौशनी भी मल गया|                          rcsharmaarcee@yahoo.co.in                                         





 

आत्माराम  शर्मा 



आदरणीय वर्मा जी,

आपको भी दीवाली की अनंत शुभकामनाएँ. उम्मीद है गर्भनाल पत्रिका आपको सतत प्राप्त हो रही होगी. पाठकों की राय ही पत्रिका की प्राणवायु है. कभी-कभार अंकों के बारे में अपनी राय से अवगत कराते रहियेगा, उत्साह बढ़ेगा.



madhu1022@cox.net
 
जगमगाता आलोक पर्व


जगमगाता आलोक पर्व  काल को चीर
हमारे अस्तित्व में दीप शिखा बनना चाहता है
पर्व यह, बन्धु मेरेभाव एक बनना चाहता है 
राम कथा नहीं विराट भाव हैं वे
जितना समाये तुम में वहाँ उजास है
बाक़ी तो अन्धेरे की छनक छनक झन्कार है

तभी तो स्वतन्त्रता आज भी रक्त में सनी
सीरीया की मिट्टी पर अग्निपरीक्षा से गुज़र रही है
शहादत थकी तो नहीं पर इन्सानियत के सीने पे रो रही है

राम-कथा भाव बने इस के लिये ललकती है धरती
मलाला को गोली न लगे इसके लिये सिसकती है धरती
अन्ना के अनशन पे  विराट  दीप कथा बनती है धरती

आने वाले वक्त में आलोक पर्व अपने दस्तख़त चाहता है
दियों की कथा से बाहर वह अपना अस्तित्व चाह्ता है
बन्धु मेरे, दीप पर्व यह भाव एक बनना चाहता है


आप सब के आल्हाद की कामना सहित
और शुभ-कामनाओं सहित
मधु माहेश्वरी






 

1 टिप्पणी:

Dr. C. Jaya Sankar Babu ने कहा…

Dr. C. Jaya Sankar Babu

परमादरणीय आचार्य संजीव सलिल जी,
सादर नमस्कार ।
दीपोत्सव के अवसर पर आपकी शुभकामनाएँ पाकर हार्दिक प्रसन्नता हुई । आपको भी हमारी ओर से हार्दिक शुभकामनाएँ ।
आशा है, आप शोध व लेखन में व्यस्त होंगे ।
शायद आपकी सेवा-निवृत्ति की पूर्व सूचना मुझे मिली थी, समय पर मैं आपको ई-मेल नहीं भेज पाया, इसका मुझे खेद है । आपको सुखमय व शांतिमय सेवा-निवृत्त जीवन की अनंत शुभकामनाएँ । अब सारस्वत सेवा के लिए आपका पूरा समय ही मिल जाएगा ।
शेष पुनः
सादर