गले मिले दोहा यमक
*
घट ना फूटे सम्हल जा, घट ना जाए मूल.
घटना जब घट जाए तो, चुभती शूल बबूल..
घट= घड़ा, कम हो, काम होना.
*
चमक कैमरे ले रहे, जहाँ-तहाँ तस्वीर.
दुर्घटना में कै मरे?, फ़िक्र न कर धर धीर..
कैमरे=चित्र उतरने का यंत्र, कितने मरे.
*
मिले अजनबी पर नहीं, रहे अजनबी मीत.
सब सज-धज तज अज नबी, गाते प्रभु के गीत..
अजनबी=अपरिचित, अज=अजन्मा, ईश, नबी=ईश्वर का दूत.
*
तिल-तिलकर जलता रहा, तिल भर सका न त्याग.
तिल-घृत की चिंताग्नि की, सहे सुयोधन आग..
तिल=अल्प, एक खाद्यान्न.
*
माँग भरें वर माँगकर, गौरा हुईं प्रसन्न..
बौरा पूरी माँगकर, हुए अधीन न खिन्न..
माँग=विवाहित स्त्रियों के केशों के मध्य रेखा, इच्छा.
*
टाँग न सकती टाँग को, हर खूँटी बेकाम.
टाँगा टाँगा ही नहीं, लेकिन पाया नाम..
टाँग=पैर, टाँगना. टाँगा=टाँग लिया, घोड़े द्वारा खींचे जानेवाला वाहन.
*
नाम न पूछें नाम से, जाना जाता व्यक्ति.
बिना नाम का काम कर, तजें मोह-आसक्ति..
नाम=व्यक्ति का संबोधन, यश, श्रेय.
*******
Acharya Sanjiv Salil
http://divyanarmada.blogspot.com
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घट ना फूटे सम्हल जा, घट ना जाए मूल.
घटना जब घट जाए तो, चुभती शूल बबूल..
घट= घड़ा, कम हो, काम होना.
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चमक कैमरे ले रहे, जहाँ-तहाँ तस्वीर.
दुर्घटना में कै मरे?, फ़िक्र न कर धर धीर..
कैमरे=चित्र उतरने का यंत्र, कितने मरे.
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मिले अजनबी पर नहीं, रहे अजनबी मीत.
सब सज-धज तज अज नबी, गाते प्रभु के गीत..
अजनबी=अपरिचित, अज=अजन्मा, ईश, नबी=ईश्वर का दूत.
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तिल-तिलकर जलता रहा, तिल भर सका न त्याग.
तिल-घृत की चिंताग्नि की, सहे सुयोधन आग..
तिल=अल्प, एक खाद्यान्न.
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माँग भरें वर माँगकर, गौरा हुईं प्रसन्न..
बौरा पूरी माँगकर, हुए अधीन न खिन्न..
माँग=विवाहित स्त्रियों के केशों के मध्य रेखा, इच्छा.
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टाँग न सकती टाँग को, हर खूँटी बेकाम.
टाँगा टाँगा ही नहीं, लेकिन पाया नाम..
टाँग=पैर, टाँगना. टाँगा=टाँग लिया, घोड़े द्वारा खींचे जानेवाला वाहन.
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नाम न पूछें नाम से, जाना जाता व्यक्ति.
बिना नाम का काम कर, तजें मोह-आसक्ति..
नाम=व्यक्ति का संबोधन, यश, श्रेय.
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Acharya Sanjiv Salil
http://divyanarmada.blogspot.com
8 टिप्पणियां:
आ० आचार्य जी,
यमक अलंकार से सजे धजे दोहों में अलंकृत शब्द अपने अर्थों से हमें चमत्कृत कर गये | आपकी कलम के ऐसे कौशल को बारम्बार नमन |
सादर
कमल
priy sanjiv ji
aapke charan pakad lun to bhi kam hi hoga aapke jaisi kavitva shakti kam hi logo ke pas hai
kusum
ये मर्मस्पर्शी आचार्य जी !
चमक कैमरे ले रहे, जहाँ-तहाँ तस्वीर.
दुर्घटना में कै मरे?, फ़िक्र न कर धर धीर..
सादर शार्दुला
कुसुम देव-सिर पर चढ़े, पग छू क्यों दे पाप.
शब्दराधन कर सकूँ, शुभाशीष दें आप..
आदरणीय आचार्य जी
अच्छे लगे आपके यमकीय प्रयोग
सादर
अमित
--
अमिताभ
आदरणीय आचार्य जी,
रुचिकर लगे यह सभी दोहे | बधाई
सादर
श्रीप्रकाश शुक्ल
- उद्धृत पाठ दिखाएं -
Web:http://bikhreswar.blogspot.com/
आदरणीय आचार्य जी
अच्छे लगे आपके यमकीय प्रयोग
सादर
अमित
--
अमिताभ
आदरणीय आचार्य जी,
रुचिकर लगे यह सभी दोहे | बधाई
सादर
श्रीप्रकाश शुक्ल
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