कुल पेज दृश्य

शनिवार, 23 मार्च 2024

मार्च २२, लघुकथा, रैप सौंग, ब्रह्मोस मिसाइल, चित्र अलंकार, इब्नबतूता, सेनेटाइजर, कविता दिवस,

सलिल सृजन २२ मार्च
लघुकथा
समझदार
*
नगर में कोरोना पोसिटिव केस... खबर सुनते ही जिज्ञासा, चिंता और कौतूहल होना स्वाभाविक है। कुछ देर बाद समाचार मिला रोगी बेटा और उससे संक्रमित माँ चिकित्सकों से विवाद कर रहे हैं। फिर खबर आई की दोनों चिकित्सालय की व्यवस्थाओं से अंतुष्ट हैं। शुभचिंतकों ने सरकारी व्यवस्थाओं को कोसने में पल भर देर न की। माँ-बेटे अपने शिक्षित होने और उच्च संपर्कों की धौंस दिखाकर अस्पताल से निकल कई लोगों से मिले और अपनी शेखी बघारते रहे।
इस बीच किसी ने चुपचाप बनाया हुई वीडियो पोस्ट कर दिया। हैरत कि अस्पताल पूरी तरह साफ़ था, पंखे-ट्यूबलाइट, पलंग, चादर, तकिये नर्स, डॉक्टर आदि सब एकदम दुरुस्त, दुर्व्यवहार करते माँ-बेटे को विनम्रता से समझाने के बाद अन्य मरीज को देखने में व्यस्त डॉक्टर की अनुपस्थिति का लाभ उठाकर निकलते माँ-बेटे।
अस्पताल प्रशासन ने पुलिस और कलेक्टर को सूचित किया। तुरंत गाड़ियां दौड़ीं, दोनों को पकड़ा गया और सख्त हिदायत देकर अस्पताल में भर्ती किया गया। तब भी दोनों सरकार को कोसते रहे किन्तु इस मध्य संक्रमित हो गए थे संपर्क में आये सैंकड़ों निर्दोष नागरिक जिन्हें खोजकर उनकी जाँच करना भूसे के ढेर में सुई खोजने की तरह है। पता चला माँ कॉलेज में प्रोफेसर और बेटा विदेश में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। दोनों बार-बार दुहाई दे रहे हैं कि कि वे समझदार हैं, उन्हें छोड़ दिया जाए पर उनकी नासमझी देखकर प्रश्न उठता है की उन्हें कैसे कहा जाए समझदार?
***

विमर्श :
आज विशेष सावधानी बरतें
२४ घंटे घर में रहना है
'बीबी से सावधान'
मास्क नहीं हैलमेट धारण करें
बेलन, चिमटा, झाड़ू जैसे घातक अण्वास्त्रों को छिपा दें।
"बीबी कहे सो सत्य" के सनातन सिद्धांत का पालन करें।
चुपचाप सुनने और कुछ न कहने से कोरोना भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
इस महामंत्र का चार बार पाठ कर गृहणी को प्रणाम कर सुरक्षित रहें।
जान है तो जहान है।
२४ घंटे बाद फिर अपना आसमान है, फिर भरना उड़ान है।
कर्फ्यू वंदना
(रैप सौंग)
*
घर में घर कर
बाहर मत जा
बीबी जो दे
खुश होकर खा
ठेला-नुक्कड़
बिसरा भुख्खड़
बेमतलब की
बोल न बातें
हाँ में हाँ कर
पा सौगातें
ताँक-झाँक तज
भुला पड़ोसन
बीबी के संग
कर योगासन
चौबिस घंटे
तुझ पर भारी
काम न आए
प्यारे यारी
बन जा पप्पू
आग्याकारी
तभी बेअसर
हो बीमारी
बिसरा झप्पी
माँग न पप्पी
चूड़ी कंगन
करें न खनखन
कहे लिपिस्टिक
माँजो बर्तन
झाड़ू मारो
जरा ठीक से
पौंछा करना
बिना पीक के
कपड़े धोना
पर मत रोना
बाई न आई
तुम हो भाई
तुरुप के इक्के
बनकर छक्के
फल चाहे बिन
करो काम गिन
बीबी चालीसा
हँस पढ़ना
अपनी किस्मत
खुद ही गढ़ना
जब तक कहें न
किस मत करना
मिस को मिस कर
मन मत मरना
जान बचाना
जान बुलाना
मिल लड़ जाएँ
नैन झुकाना
कर फ्यू लेकिन
कई वार हैं
कर्फ्यू में
झुक रहो, सार है
बीबी बाबा बेबी की जय
बोल रहो घुस घर में निर्भय।।
२२-३-२०२०
***
विमर्श
ब्रह्मोस मिसाइल प्रक्षेपण गलती या ???
९ मार्च २०२२ को भारत की एक परीक्षण ब्रह्मोस मिसाइल (वारहेड के बिना) पाकिस्तान में १२४ कि.मी. अंदर मियां चन्नू में भारत की ब्रह्मोस मिसाइल गिरी। मिसाइल से पाकिस्तान में कोई जान माल का नुकसान नहीं हुआ।
-भारत की संसद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह गलती से चल गयी जिसकी जाँच (कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी) करवाई जा रही है ।
- सूत्रों के अनुसार असल मुद्दा कुछ और है। भारत जाँचना चाहता था कि पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली (एयर डिफेंस सिस्टम) कितना सतर्क और सुरक्षित है? पाकिस्तान के पास चीन से खरीदी गई HQ9 वायु सुरक्षा प्रणाली है। चीन का दावा है कि यह दुनिया की श्रेष्ठ वायु सुरक्षा प्रणाली है । भारतीय ब्रह्मोस मिसाइल को खोज या रोक न पाने से पाकिस्तान और चीन की कलई खुल गयी है।
-चीन अपने कई मित्र देशों को HQ9 वायु सुरक्षा प्रणाली बेचना चाहता है। अब कोई भी समझदार देश चीन की यह वायु सुरक्षा प्रणाली खरीदना नहीं चाहेगा। भारत ने सिर्फ एक प्रहार से दुनिया को बता दिया है कि चीन की वायु सुरक्षा प्रणाली किसी काम की नहीं है।
- पाकिस्तान अपने रक्षा तंत्र और सेना की बहुत डींग मारता है। भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल १२४ किलोमीटर अंदर तक मिसाइलदाग कर सिद्ध कर दिया कि पाकिस्तान के पास प्रभावी वायु सुरक्षा प्रणाली नहीं है। बांगला देश युद्ध, करगिल युद्ध, सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद भारत ने ब्रह्मोस के जरिए पाकिस्तान की सेना को फिर उसकी औकात बता दी है।
- इस कदम से चीन निर्मित वायु रक्षा प्रणाली की छवि ख़राब हुई है और उसके युद्धास्त्र उद्योग को भारी झटका लगा है। भारत की ब्रह्मोस मिसाइल की लक्ष्य भेदन क्षमता सामने आते ही, इसे खरीदने के लिए कई देश आगे आ रहे हैं। अब भारत के युद्धास्त्र उत्पादन उद्योग की उन्नति सुनिश्चित है।
-फिलीपींस, वियतमान, ताइवान आदि भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदना चाहते हैं। ये तीनों देश चीन के पड़ोसी हैं। भारत ब्रह्मोस के माध्यम से चीन के खिलाफ उसके पड़ोसियों को मजबूत कर चीन की घेराबंदी कर सकेगा।
***
चित्र अलंकार : पिरामिड
*
है
खरा
सलिल
नहीं खोटा
इसके बिना
बेमानी है लोटा
मिटाता है पिपासा
करे सृष्टि को संप्राण
अकाल से दिलाता त्राण
हाथों को मलता पछताता
अहसान फरामोश कृतघ्न
आदमी में नहीं है समझदारी
खोदता रहा है खुद ही निज कब्र
क्यों और कब तक करे प्रकृति सब्र
कहते हैं ''विनाश काले विपरीत बुद्धि''
*
वर्ण पिरामिड
*
री तू!
कल सी!
बीते पल सी।
मधुरिम यादें
सुधि कोमल सी।
साकी प्याला हाला
बिन मधुबाला मन की
गाती गीत मधुर कोयल सी।
रीत न कलकल करे हमेशा ही
तेरी यादों की कलसी, मानो तुलसी
२२.३.२०२०
***
इब्नबतूता
*
इब्नबतूता भूल के जूता
कोरोना से डर भागा
नहीं किसी को शकल दिखाता
घर के अंदर बंद हुआ है
राम राम करता दूरी से
ज्यों पिंजरे में कोई सुआ है
गले मत मिला, हाथ मत मिलो
कुरता सिलता बिन धागा
इब्नबतूता भूल के जूता
कोरोना से डर भागा
सगा न कोई रहा किसी का
हाय न कोई गैर है
सबको पड़े जान के लाले
नहीं किसी की खैर है
सोना चाहे; नींद न आए
आँख न खुलती पर जागा
इब्नबतूता भूल के जूता
कोरोना से डर भागा
***
गीत
क्या होएगा?
*
इब्नबतूता
पूछे: 'कूता?
क्या होएगा?'
.
काय को रोना?
मूँ ढँक सोना
खुली आँख भी
सपने बोना
आयसोलेशन
परखे पैशन
दुनिया कमरे का कोना
येन-केन जो
जोड़ धरा है
सब खोएगा
.
मेहनतकश जो
तन के पक्के
रहे इरादे
जिनके सच्चे
व्यर्थ न भटकें
घर के बाहर
जिनके मन निर्मल
ज्यों बच्चे
बाल नहीं
बाँका होएगा
.
भगता क्योंहै?
डरता क्यों है?
बिन मारे ही
मरता क्यों है?
पैनिक मत कर
हाथ साफ रख
हाथ साफ कर अब मत प्यारे!
वह पाएगा
जो बोएगा।
२१-३-२०२०
***
विश्व कविता दिवस २२ मार्च पर
एक रचना
*
विश्व में कविता समाहित
या कविता में विश्व?
देखें कंकर में शंकर
या शंकर में प्रलयंकर
नाद ताल ध्वनि लय रस मिश्रित
शक्ति-भक्ति अभ्यंकर
अक्षर क्षर का गान करे जब
हँसें उषा सँग सविता
तभी जन्म ले कविता
शब्द अशब्द निशब्द हुए जब
अलंकार साकार हुए सब
बिंब प्रतीक मिथक मिल नर्तित
अर्चित चर्चित कविता हो तब
सत्-शिव का प्रतिमान रचे जब
मन मंदिर की सुषमा
शिव-सुंदर हो कविता
मन ही मन में मन की कहती
पीर मौन रह मन में तहती
नेह नर्मदा कलकल-कलरव
छप्-छपाक् लहरित हो बहती
गिरि-शिखरों से कूद-फलाँगे
उद्धारे जग-पतिता
युग वंदित हो कविता
***
कार्यशाला
बनाइए सेनेटाइजर:
सामग्री - १ लीटर स्प्रिट ( कीमत ११० रुपए)
२०० मि.ली. ग्लिसरीन (६० रुपए)
एक ढक्कन डिटोल का
पसंदीदा इत्र
विधि - पहले स्प्रिट व ग्लिसरीन को मिलाइये।
फिर डिटोल और इत्र मिला दीजिए।
मात्र २०० रुपए में १२०० मि.ली. सेनिटाइजर तैयार है।
बाजार में १०० मि.ली. सेनिटाइजर १५० रुपए में बिक रहा है।
आप फिटकरी से भी सेनेटाइजर बना सकते हैं।
१ लीटर पानी मे १०० ग्राम फिटकरी, 1 ढक्कन डिटोल, गाढ़ा करने के लिए ग्लिसरीन या एलोवरा मिलाकर सेनिटाइजर बना लें।
२१-३-२०२०
***
कविता दिवस
*
कविता कविता जप रहे,
नासमिटी है कौन?
पूछ रहीं श्रीमती जी,
हम भय से हैं मौन।
हम भय से हैं मौन,
न ताली आप बजाएँ।
दुर्गा काली हुई,
किस तरह जान बचाएँ।
हाथ जोड़, पड़ पैर,
मनाते खुश हो सविता।
लाख कहे मिथलेश,
ऩ लिखना हमको कविता।।
२२-३-२०१८
***
हाइकु गीत
*
लोकतंत्र में
मनमानी की छूट
सभी ने पाई।
*
सबको प्यारा
अपना दल-दल
कहते न्यारा।
बुरा शेष का
तुरत ख़तम हो
फिर पौबारा।
लाज लूटते
मिल जनगण की
कह भौजाई।
*
जिसने लूटा
वह कहता: 'तुम
सबने लूटा।
अवसर पा
लूटता देश, हर
नेता झूठा।
वादा करते
जुमला कहकर
जीभ चिढ़ाई।
*
खुद अपनी
मूरत बनवाते
शर्म बेच दी।
संसद ठप
भत्ते लें, लाज न
शेष है रही।
कर बढ़वा
मँहगाई सबने
खूब बढ़ाई।
***
***
द्विपदियाँ
सुबह उषा का पीछा करता, फिर संध्या से आँख मिला
रजनी के आँचल में छिपता, सूरज किससे करें गिला?
*
कांत सफलता पाते तब ही, रहे कांति जब साथ सदा
मिले श्रेय जब भी जीवन में, कांता की जयकार लिखें
​​***
दोहा सलिला
*
उसको ही रस-निधि मिले, जो होता रस-लीन।
पान न रस का अन्य को, करने दे रस-हीन।।
*
सलिल साधना स्नेह की, सच्ची पूजा जान।
प्रति पल कर निष्काम तू, जीवन हो रस-खान।।
*
शब्द-शब्द अनुभूतियाँ, अक्षर-अक्षर भाव।
नाद, थाप, सुर, ताल से, मिटते सकल अभाव।।
*
रास न रस बिन हो सखे!, दरस-परस दे नित्य।
तरस रहा मन कर सरस, नीरस रुचे न सत्य।।
*
सावन-फागुन कह रहे, लड़े न मन का मीत।
गले मिले, रच कुछ नया, बढ़े जगत में प्रीत।।
*
सावन-फागुन कह रहे, लड़े न मन का मीत।
गले मिले, रच कुछ नया, बढ़े जगत में प्रीत।।
***
त्रिभंगी छंद:
*
ऋतु फागुन आये, मस्ती लाये, हर मन भाये, यह मौसम।
अमुआ बौराये, महुआ भाये, टेसू गाये, को मो सम।।
होलिका जलायें, फागें गायें, विधि-हर शारद-रमा मगन-
बौरा सँग गौरा, भूँजें होरा, डमरू बाजे, डिम डिम डम।।
***
हाइकु गीत
*
आया वसंत,
इन्द्रधनुषी हुए
दिशा-दिगंत..
शोभा अनंत
हुए मोहित, सुर
मानव संत..
.
प्रीत के गीत
गुनगुनाती धूप
बनालो मीत.
जलाते दिए
एक-दूजे के लिए
कामिनी-कंत..
.
पीताभी पर्ण
संभावित जननी
जैसे विवर्ण..
हो हरियाली
मिलेगी खुशहाली
होगे श्रीमंत..
.
चूमता कली
मधुकर गुंजार
लजाती लली..
सूरज हुआ
उषा पर निसार
लाली अनंत..
.
प्रीत की रीत
जानकर न जाने
नीत-अनीत.
क्यों कन्यादान?
'सलिल' वरदान
दें एकदंत..
***
मुक्तक
'दिग्गी राजा' भटक रहा है, 'योगी' को सिंहासन अर्पण
बैठ न गद्दी बिठलाता है, 'शाह' निराला करे समर्पण
आ 'अखिलेश' बधाई दें, हँस कौतुक से देखा 'नरेंद्र' ने
साइकिल-पंजा-हाथी का मिल जनगण ने कर डाला तर्पण
***
कुंडलिया
*
रूठी राधा से कहें, इठलाकर घनश्याम
मैंने अपना दिल किया, गोपी तेरे नाम
गोपी तेरे नाम, राधिका बोली जा-जा
काला दिल ले श्याम, निकट मेरे मत आ, जा
झूठा है तू ग्वाल, प्रीत भी तेरी झूठी
ठेंगा दिखा हँसें मन ही मन, राधा रूठी
*
कुंडलिया
कुंडल पहना कान में, कुंडलिनी ने आज
कान न देती, कान पर कुण्डलिनी लट साज
कुण्डलिनी लट साज, राज करती कुंडल पर
मौन कमंडल बैठ, भेजता हाथी को घर
पंजा-साइकिल सर धुनते, गिरते जा दलदल
खिला कमल हँस पड़ा, फन लो तीनों कुंडल
***
मुक्तिका
*
खर्चे अधिक आय है कम.
दिल रोता आँखें हैं नम..
*
पाला शौक तमाखू का.
बना मौत का फंदा यम्..
*
जो करता जग उजियारा
उस दीपक के नीचे तम..
*
सीमाओं की फ़िक्र नहीं.
ठोंक रहे संसद में ख़म..
*
जब पाया तो खुश न हुए.
खोया तो करते क्यों गम?
*
टन-टन रुचे न मन्दिर की.
रुचती कोठे की छम-छम..
*
वीर भोग्या वसुंधरा
'सलिल' रखो हाथों में दम..
२२-३-२०१७
***
फाग
.
राधे! आओ, कान्हा टेरें
लगा रहे पग-फेरे,
राधे! आओ कान्हा टेरें
.
मंद-मंद मुस्कायें सखियाँ
मंद-मंद मुस्कायें
मंद-मंद मुस्कायें,
राधे बाँकें नैन तरेरें
.
गूझा खांय, दिखायें ठेंगा,
गूझा खांय दिखायें
गूझा खांय दिखायें,
सब मिल रास रचायें घेरें
.
विजया घोल पिलायें छिप-छिप
विजया घोल पिलायें
विजया घोल पिलायें,
छिप-छिप खिला भंग के पेड़े
.
मलें अबीर कन्हैया चाहें
मलें अबीर कन्हैया
मलें अबीर कन्हैया चाहें
राधे रंग बिखेरें
ऊँच-नीच गए भूल सबै जन
ऊँच-नीच गए भूल
ऊँच-नीच गए भूल
गले मिल नचें जमुन माँ तीरे
***
होली की कुण्डलियाँ:
मनायें जमकर होली
*
होली अनहोली न हो, रखिए इसका ध्यान.
बने केजरीवाल जो खाए भंग का पान..
खायें भंग का पान, मान का पान न छोड़ें.
छान पियें ठंडाई, पी गिलास भी तोड़ें..
कहे 'सलिल' कविराय, टेंट में खोंसे गोली.
मम्मी से मिल गले मनाये पप्पू होली..
*
होली ने खोली सभी, नेताओं की पोल.
जिसका जैसा ढोल है, वैसी उसकी पोल..
वैसी उसकी पोल, तोल ममता बातें.
माया भीतर ही भीतर करती हैं घातें..
भेंट मुलायम-लालू करते हँसी-ठिठोली .
नीतिश गोबर लिए मनाते जमकर होली..
*
होली में फीका पड़ा, सेवा का हर रंग.
माया को भायी सदा, सत्ता खातिर जंग..
सत्ता खातिर जंग, सोनिया को भी भाया.
जया, उमा, ममता, सुषमा का भारी पाया..
मर्दों पर भारी है, महिलाओं की टोली.
पुरुष सम्हालें चूल्हा-चक्की अबकी होली..
२२-३-२०१६
***
सामयिक फाग:
दिल्ली के रंग
*
दिल्ली के रंग रँगो गुइयाँ।
जुलुस मिलें दिन-रैन, लगें नारे कई बार सुनो गुइयाँ।।
जे एन यू में बसो कनैया, उगले ज़हर बचो गुइयाँ।
संसद में कालिया कई, चक्कर में नाँय फँसो गुइयाँ।।
मम्मी-पप्पू की बलिहारी, माथा ठोंक हँसो गुइयाँ।।
छप्पन इंची छाती पंचर, सूजा लाओ सियों गुइयाँ।।
पैले आप-आप कर रए ते, छूटी ट्रेन न रो गुइयाँ।।
नेताजी खों दाँव चूक रओ, माया माँय धँसो गुइयाँ।।
थाना फुँका बता रईं ममता, अपराधी छूटो गुइयाँ।।
सुसमा-ईरानी जब बोलें, चुप्पै-चाप भगो गुइयाँ।।
२२-३-२०१६
***

दोहा सलिला:
दोहा पिचकारी लिये
*
दोहा पिचकारी लिये,फेंक रहा है रंग.
बरजोरी कुंडलि करे, रोला कहे अभंग..
*
नैन मटक्का कर रहा, हाइकु होरी संग.
फागें ढोलक पीटती, झांझ-मंजीरा तंग..
*
नैन झुके, धड़कन बढ़ी, हुआ रंग बदरंग.
पनघट के गालों चढ़ा, खलिहानों का रंग..
*
चौपालों पर बह रही, प्रीत-प्यार की गंग.
सद्भावों की नर्मदा, बजा रही है चंग..
*
गले ईद से मिल रही, होली-पुलकित अंग.
क्रिसमस-दीवाली हुलस, नर्तित हैं निस्संग..
*
गुझिया मुँह मीठा करे, खाता जाये मलंग.
दाँत न खट्टे कर- कहे, दहीबड़े से भंग..
*
मटक-मटक मटका हुआ, जीवित हास्य प्रसंग.
मुग्ध, सुराही को तके, तन-मन हुए तुरंग..
*
बेलन से बोला पटा, लग रोटी के अंग.
आज लाज तज एक हैं, दोनों नंग-अनंग..
*
फुँकनी को छेड़े तवा, 'तू लग रही सुरंग'.
फुँकनी बोली: 'हाय रे! करिया लगे भुजंग'..
*
मादल-टिमकी में छिड़ी, महुआ पीने जंग.
'और-और' दोनों करें, एक-दूजे से मंग..
*
हाला-प्याला यों लगे, ज्यों तलवार-निहंग.
भावों के आवेश में, उड़ते गगन विहंग..
*
खटिया से नैना मिला, भरता माँग पलंग.
उसने बरजा तो कहे:, 'यही प्रीत का ढंग'..
*
भंग भवानी की कृपा, मच्छर हुआ मतंग.
पैर न धरती पर पड़ें, बेपर उड़े पतंग..
*
रंग पर चढ़ा अबीर या, है अबीर पर रंग.
बूझ न कोई पा रहा, सारी दुनिया दंग..
२२.३.२०१३
***
दोहा सलिला
शब्द-शब्द अनुभूतियाँ, अक्षर-अक्षर भाव.
नाद, थाप, सुर, ताल से, मिटते सकल अभाव..
*
सलिल साधना स्नेह की, सच्ची पूजा जान.
प्रति पल कर निष्काम तू, जीवन हो रस-खान..
*
उसको ही रस-निधि मिले, जो होता रस-लीन.
पान न रस का अन्य को, करने दे रस-हीन..
२२.३.२०१०

कोई टिप्पणी नहीं: