विमर्श-
कैसे बोलें? श, ष और स
श, ष और स वर्णो के उच्चारण में, उच्चारण स्थानों में और नामों में परस्पर अंतर है।
• वर्ण श,ष और स- ऊष्म ( संघर्षी) स्पर्श व्यंजन हैं। इन्हें ऊष्म या संघर्षी व्यंजन इसलिए कहते हैं, क्योंकि इनके उच्चारण के समय अंदर से आती हुई हवा तालू,मसूढ़े,दाँत और जीभ से रगड़ कर ऊष्मा पैदा करती हुई निकलती है।(बोलकर देखिए)
• वर्ण- श,ष और स को स्पर्श व्यंजन इसलिए कहते हैं ,क्योंकि जब ‘श' का उच्चारण करते हैं तब जीभ तालू का स्पर्श करती है ओर इस ‘श’ को तालव्य ‘श' कहते हैं।
•जब ष का उच्चारण करते हैं, उस समय जीभ मूर्धा का स्पर्श करती है और इसे मूर्धन्य ‘ष' कहते हैं।
•जब वर्ण ‘स' का उच्चारण करते हैं, तब जीभ दाँतों का स्पर्श करती है,इसलिए इसे दन्त्य ‘स' कहते हैं।
इस प्रकार तीनों के अलग-अलग नाम इस प्रकार हैं-
1 . तालुव्य -श
इ, ई, च,छ,ज,झ,ञ, य वर्ण भी तालुव्य वर्ण हैं।
(संस्कृत का सूत्र है-इचुयशानाम तालु़ः। इस सूत्र से इन्हें आसानी से याद किया जा सकता है)
2. मूर्धन्य- ष
( ऋ, ट,ठ,ड,ढ,ण,र भी मूर्धन्य वर्ण हैं।
-ऋटुरषाणाम मूर्धा)
3. दन्त्य - स
( लृ,त,थ,द,ध,न,ल भी दंत्य वर्ण हैं।
- लृतुलसानाम दन्ता)
अब इनका उच्चारण अभ्यास-
सबसे पहले इन 5 वर्णों का तीन-चार बार उच्चारण कीजिए और ध्यान दीजिए कि जीभ किस स्थान का स्पर्श करती है—
वर्ण हैं—क, च, ट, त, प
आपने अनुभव किया होगा कि अंदर से आती हुई हवा के साथ‘ क' के उच्चारण में जीभ कंठ का,’च, के उच्चारण में तालू का,’ ट' के उच्चारण में मूर्धा का, ‘त' में दाँत का और ‘ प' के उच्चारण में जीभ होठों का स्पर्श करती है। जीभ क्रमशः बाहर की तरफ अर्थात कंठ से शुरू होकर,तालू,मूर्धा ,दाँत और होठों की ओर आती है।
उच्चारण-अभ्यास—
• पहले इन 8 वर्णों का भी इसी प्रकार 3–4 बार उच्चारण कीजिए —इ, ई, च, छ , ज, झ, ञ, य ।
जीभ तालू का स्पर्श कर रही है। ये तालुवय व्यंजन हैं। तालव्य श का उच्चारण भी इन वर्णों जैसा ही होगा। आप जैसे च,छ,ज,झ,ञ, का उच्चारण करते हैं वैसे ही श का उच्चारण करें । जीभ तालू का स्पर्श करे।
अब अभ्यास—
• इ,ई,च,छ,ज,झ,ञ,य,श ( कम से कम १०-१० बार जीभ का ध्यान रख कर अभ्यास करें)
अब इनका बार-बार अभ्यास करें—
इ श,ई श, च श,छ श,ज श,झ श,ञ श,य श
ध्यान इस बात का रखें कि श के उच्चारण में जीभ तालू का स्पर्श करे।
(लगातार अभ्यास से सही उच्चारण करने लगेंगे)
• अब ऐसे ही ‘ट वर्ग'— ट, ठ,ड,ढ,ण और ऋ,र का उच्चारण करें। इनके उच्चारण में जीभ मूर्धा का स्पर्श कर रही होगी। ये मूर्धन्य व्यंजन हैं। इसी प्रकार मूर्धन्य ष का उच्चारण करें।
अभ्यास—
1• ऋ,ट, ठ,ड,ढ,ण,ष, र(१०-१० बार)
2• ऋ ष, ट ष,ठ ष,ड ष,ढ ष,ण ष, र ष।
• इसी प्रकार जीभ त वर्ग—त,थ,द,ध,न और लृ, ल के उच्चारण में दाँतों को स्पर्श करती है( ये दन्त्य व्यंजन हैं),वहीं से ही दन्त्य स का उच्चारण करें।
अभ्यास -
1.लृ, त,थ,द,ध,न,ल,स
2• त स,,थ स,द स,ध स, न स, ल स।
(बंगाली भाषा में ‘स' का उच्चारण ‘श' के समान है । अतः उन्हें हिन्दी के ‘ स'के शुद्ध उच्चारण में सावधानी की आवश्यकता होती है ।)
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