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शनिवार, 18 फ़रवरी 2023

शिवलिंग अमरकंटक और कैलाश

   
विमर्श : शिवलिंग
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शिवलिंग की रचना स्वयं ईश्वर ने की है, और यह तब की है जब धरती पर मनुष्य नही थे। मनुष्य ने इस शिवलिंग को बाद में जाना की यह ईश्वर का निवास स्थान है, और उस आधार पर इसकी बनावट तय की गई। यह रही उस शिवलिंग की तस्वीर-  कांगृंबोक पीक या कैलाश पर्वत  ।

शिवलिंग का लंबवत भाग होता है जहाँ से पानी की निकासी होती है, वह तस्वीर में आपकी तरफ है। बीच में गुंबज या कैलाश शिखर, और उसके आजू-बाजू से पानी की धाराएँ। कैलाश शिखर शिवलिंग है, पानी की निकासी दोनों तरफ नदियों की जलधारा के रूप में दिख रही हैजो कैलाश के ग्लेशियर यानी बर्फ से निकलती हैं। कैलाश पर्वत से भारत की चार प्रमुख नदियों (सिंधु, सतलज, ब्रह्मपुत्र और करनाली (नेपाल की और)) का उद्गम होता है। भारत उपमहाद्वीप के लिए पानी का बहुत बड़ा स्रोत कैलाश पर्वत सबसे अधिक ऊँचा है जिसके आसपास कोई भी बर्फ से आच्छादित पर्वत शिखर नही है

शिवलिंग पर पानी डाला जाता है। ईश्वर हमें जो देते है, वही हम ईश्वर को श्रद्धापूर्वक समर्पित करते हैं। कैलाश पर्वत पानी देता है जिससे धरती पर जीवन की उत्पत्ति हुई है, और जो हर प्रकार के जीवन के लिए अतिआवश्यक है। यही इसकी महत्ता या महत्व है। शिवलिंग ईश्वर, शिव-शक्ति (शंकर-पार्वती ) का प्रतीक अर्थात चिन्ह है। इसलिए जब भी आप शिवलिंग की पूजा करें तो अपनी ईश्वरीय माँ को शिव के साथ रखना न भूले। 

कैलाश से जुड़ी बहुत सारे रोचक तथ्य हैं। कई ईश्वरतुल्य महामानवों को यहाँ मोक्ष प्राप्ति हुई है। कैलाश के आस-पास आपकी उम्र बढ़ने की निशानियों में तेजी से वृद्धि होती है, जैसे बालों और नाखूनों का तेजी से बढ़ना वगैरह। कैलाश से उत्तरी ध्रुव की दूरी जो की ६६६६ किलोमीटर है, और दक्षिणी ध्रुव की दूरी जो की इससे ठीक दोगुनी, यानी १३३३२ किलोमीटर है। कैलाश पर्वत से बहुत से धरती के प्राचीन स्मारकों की दूरी ६६६६ किलोमीटर है, जिसे अंग्रेजी में एनर्जी ग्रिड माना जाता है, और वह भी बहुत प्राचीन काल से। कैलाश से जुड़े ऐसे बहुत सारे तथ्य है, जो इसे विशेष दर्जा देते है, और जो प्रकृति ने खुद बनाए है, इंसान ने नही बनाए। जैसे कैलाश अभी जहाँ स्थिति है, वहाँ वह पहले नही था, बल्कि जब भारतीय उपमहाद्वीप की प्लेट यूरेशिया प्लेट से टकराई और हिमालय की निर्मित हुई, तब कैलाश बना है।


      



पहले भारत खंड एशिया महाद्वीप से अलग था। जब भारत खंड एशिया महाद्वीप से टकराया, तब हिमालय की निर्मित हुई, और तभी कैलाश पर्वत अपनी स्थिति में आया। इसके अपनी स्थिति में आने के बाद ही मनुष्य की उत्पत्ति हुई। कैलाश पर्वत की पिरामिड जैसी आकृति  कई लोगों को आश्चर्यचकित करती है।


    

इसी कैलाश पर्वत से शिवलिंग की बनावट तय हुई है। शिव और शक्ति, पदार्थ और ऊर्जा हैं, जिससे पूरे ब्रह्मांड का निर्माण हुआ है। पदार्थ एवं ऊर्जा केबिना किसी भी चीज़ का अस्तित्व वैज्ञानिक रूप से असंभव है, और पदार्थ एवं ऊर्जा केवल दो ही चीज़ें ऐसी है जो ब्रम्हांड में शाश्वत है। चाहे कोई ईश्वर ही क्यों न हो, पदार्थ एवं ऊर्जा के बगैर उसका अस्तित्व हो ही नही सकता, और पदार्थ और ऊर्जा के बगैर उसका अस्तित्व मिट सकता है। यहां तक कि सत्य और समय, जो की केवल एक विचार है, वह भी पदार्थ और ऊर्जा के बगैर नहीं हो सकते, बल्कि सत्य और समय स्वयं शिव और शक्ति का स्वरूप है। इनका धरती में मनुष्य रूप शंकर एवं पार्वती है, जिनका निवास स्थान कैलाश है।

  

शिवलिंग का नाम वास्तव में शिव-शक्तिलिंग होना चाहिए। शिवलिंग शिव का लिंग और शक्ति की योनि नहीं है। वास्तव में शिवलिंग केवल कैलाश का प्रतीक है। लिंग का अर्थ प्रतीक होता है। जैसे रामलिंगम, चतुर्लिंगम, में अर्थ राम का प्रतीक या चार प्रतीक होता है, राम का लिंग या चार लिंग नहीं। 
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