विमर्श
क्या द्वापरयुगीन हिंदुओं में ममेरे-फुफेरे भाई-बहिनों में विवाह स्वीकार्य थे?
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कुंती कृष्ण की बुआ थीं, इस नाते अर्जुन कृष्ण के फुफेरे भाई थे तथापि कृष्ण ने स्वयं सुभद्रा के मन में अर्जुन के प्रति आकर्षण उत्पन्न किया और अर्जुन को सुभद्रा हरण की प्रेरणा दी। यह फुफेरे भाई और ममेरी बहिन का विवाह था।
अर्जुन की चार पत्नियों से कुल छह बच्चे थे। द्रौपदी से एक पुत्र श्रुतकर्मा और जुड़वाँ बेटियाँ प्रगति और प्रज्ञा, सुभद्रा से पराक्रमी अभिमन्यु, उलूपी से पुत्र इरावन, चित्रांगदा से महावीर बभ्रुवाहन। प्रगति और प्रज्ञा के बारे में अधिक जानकारी नहीं है। प्रगति और सुथानु (युधिष्ठिर और द्रौपदी की बेटी) पांडव निर्वासन काल में जन्मी थीँ। कुरुक्षेत्र के महायुद्ध की समाप्ति के बाद, सुथनु की शादी कृष्ण और सत्यभामा के पुत्र स्वराभानु से हुई थी। यह भी फुफेरे भाई और ममेरी बहिन का विवाह था।
इन दोनों विवाहों में पिताक्षर (पिता की सात पीढ़ियों)और मिताक्षर (माँ की पाँच पीढ़ियों) में विवाह निषेध संबंधी नियम का पालन किया गया था।
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