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मंगलवार, 27 अप्रैल 2021

गीत

गीत 
ओ क्षणभंगुर भव राम राम
जो हुआ बिदा उसको प्रणाम
*
था अपना, रहा न अपना जग
मग पर पग जमा न हो डगमग
चल फिसल गिरा उठ सका नहीं
चाहा सबने रुक सका नहीं
लो थामो कर ईश्वर ललाम
ओ क्षणभंगुर भव राम राम
*
जब चाहा भेजा बिन पूछे
पाया-खोया, कर रख छूछे
पल-पल थे रहे नचाते तुम
लट्टू की तरह घुमाते तुम
नटवर! नट मत, तुझको प्रणाम
ओ क्षणभंगुर भव राम राम
*
पहले जग से नाता जोड़ा
जुड़ते ही झट तुमने तोड़ा
कठपुतली बना नचाते तुम
छलिया! छल, मन भरमाते तुम
नटराज! आज ले बाँह थाम
ओ क्षणभंगुर भव राम राम
*
२६-४-२०२१
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